उषा मार्टिन की पहल
आर्थिक सशक्तिकरण की सहभागी बनीं महिलाएं
मशरूम उत्पादन से सैंकड़ों ग्रामीणों का जीविकोपर्जन
रांची। मशरूम की खेती ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सहभागी बनाया है। मशरूम के पैदावार से न केवल ग्रामीणा परिवारों में पोषण की कमी को दूर करने में सहयोग मिला है, बल्कि यह सैकड़ों महिलाओं को वैकल्पिक आय का स्त्रोत बना है। उषा मार्टिन फाॅउंडेशन के सहयोग से ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में चलाए जा रहे प्रयासों में मशरूम की खेती ने अहम भूमिका अदा की है। इससे पिछले चार माह में हजारों रुपये की आमदनी हुई है। उषा मार्टिन के सुपरवाइजर मोनीत बूतकुमार ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से 125 से अधिक महिलाओं ने मशरूम की खेती तकनीक सीखी। उषा मार्टिन फाउंडेशन ने प्रत्येक महिला को दो किलोग्राम मशरूम स्पॉन (मशरूम के बीज) प्रदान किया, इसके बाद सफल महिलाओं ने अपने आय को बढ़ाने के लिए अधिक मशरूम का उत्पादन किया। औसतन एक महिला प्रतिमाह दो हजार से अधिक के मशरूम का उत्पादन किया। यह आय उसके खपत के बाद रहा। इसका सबसे बड़ा लाभ लाभुकों में आत्मनिर्भर होने का विश्वास रहा। हेसल गांव की मुखिय कविता देवी बताती है किह आसान व्यवसाय है जो कम जगह में किया जा सकता है और इसे अन्य फसलों की तरह खेत की आवश्यकता नहीं होती है। यह कम लागत में अधिक लाभ देता है। इसके साथ इसका पोषणा एवं औषधीय गुण भी होते हैं।
परिवार और समुदाय पर प्रभावन : प्रिया बागची
उषा मार्टिन की प्रबंधक प्रिया बागची ने बताया कि मशरूम की खेती की सफलता ने सैकड़ों परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव लाया है। मशरूम फार्मिंग से उत्पन्न अतिरिक्त आय ने उसे घरेलू खर्चों का अधिक प्रभावी ढंग से समर्थन करने और अपने बच्चे के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाया है। इसके अलावा इस नई वित्तीय स्वतंत्रता ने उसे सशक्त बनाया है, उसके आत्मविश्वास और उपलब्धि की भावना को बढ़ावा दिया है।
केस स्टडी
मशरूम से 18 हजार की कमाई: खुशबू कुमारी
टाटी पूर्वी की खुशबू कुमारी बताती है कि फाउंडेशन से 10 किलोग्राम मशरूम के बीज प्राप्त करने के बाद 50-60 बैग मशरूम तैयार किए। उत्पादन के बढ़े हुए पैमाने ने उसे 18,000 रुपये की प्रभावशाली आय उत्पन्न करने में सक्षम बनाया। उनके द्वारा निर्मित मशरूम की गुणवत्ता बेहतर होने से उसे बेचने में कोई कठिनाई नहीं हुई। उनके पति उनके साथ खेतों में काम किया और ख़ुशबू मशरूम खेती की प्रक्रिया का प्रबंधन कर रही थी।
मशरूम ने आर्थिक सहयोग दिया : दिनेश महतो
अनगड़ा के दिनेश महतो कहते है कि मशरूम के उत्पादन से आर्थिक सहयोग मिला है। इसके उत्पादन के दौरान कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें मशरूम की खेती के शुरुआती चरण में सीखना भी शामिल था। बढ़ती प्रक्रिया को समझना और अन्य घरेलू कर्तव्यों के साथ उत्पादन का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण समय और प्रयास की आवश्यकता है। हालांकि, उषा मार्टिन फाउंडेशन के समर्थन और मार्गदर्शन ने उन्हें इन बाधाओं को दूर करने में मदद की।
