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न्यूनतम मजदूरी एवं कंपनी में सेफ्टी को लेकर कोहिनूर स्टील प्राइवेट लिमिटेड के मजदूरों ने प्रशासन से न्याय की लगाई गुहार

रिपोर्टर – जगबंधु महतो

चांडिल : कोहिनूर स्टील प्राइवेट लिमिटेड, खूंचीडीह, बंसा में कार्यरत मजदूरों और ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रशासन को आवेदन सौंपा है। शिकायतकर्ताओं ने अनुमंडल पदाधिकारी चांडिल, अंचल अधिकारी, उपायुक्त सरायकेला-खरसावां, उप श्रमायुक्त जमशेदपुर सहित कई उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर मजदूरों की समस्याओं के समाधान की मांग की है।

मजदूरों की प्रमुख शिकायतें

1. न्यूनतम वेतन से कम भुगतान : मजदूरों को 280 रुपये प्रतिदिन मिल रहा है जो न्यूनतम मजदूरी दर से कम है। कंपनी में बोनस और वार्षिक वेतन वृद्धि का भी कोई प्रावधान नहीं है।

2. सुरक्षा मानकों की अनदेखी : मजदूरों के लिए जूते, हेलमेट और सुरक्षा बेल्ट जैसी जरूरी सुविधाएँ नहीं दी जा रही हैं, जिससे कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।

3. ईपीएफ/ईएसआई का लाभ नहीं : कंपनी के मजदूरों को भविष्य निधि (ईपीएफ) और स्वास्थ्य बीमा (ईएसआई) जैसी सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं।

4. मेडिकल सुविधाओं का अभाव : पहले कंपनी में एक मेडिकल सेंटर और डॉक्टर की सुविधा थी, लेकिन अब वह बंद हो चुकी है। दुर्घटनाओं की स्थिति में प्राथमिक उपचार और एंबुलेंस जैसी सुविधाओं की कमी बनी हुई है।

5. वातावरण प्रदूषण की अनदेखी : कंपनी द्वारा किए जा रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों की कई शिकायतों के बावजूद इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

6. वेतन भुगतान में देरी : मजदूरों को 7 तारीख तक वेतन मिल जाना चाहिए, लेकिन कंपनी 25 तारीख तक भुगतान करती है।

7. विस्थापितों से किया गया वादा अधूरा : कंपनी द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले विस्थापितों को स्थायी नौकरी देने का वादा किया गया था लेकिन अधिकांश विस्थापितों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।

वार्ताओं के बाद भी मांगें अधूरी

ग्रामीणों और मजदूरों ने 16 अगस्त 2012 को चांडिल अनुमंडल कार्यालय और 26 मई 2014 को उप श्रमायुक्त जमशेदपुर के समक्ष वार्ता की थी लेकिन उनकी मांगों पर आज तक अमल नहीं किया गया। खूंचीडीह जनकल्याण श्रमिक संघ के सदस्यों ने अनुमंडल पदाधिकारी, उपायुक्त और राज्यपाल तक अपनी शिकायत पहुंचाई है और समस्याओं के समाधान की मांग की है। मजदूरों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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