Spread the love

सरायकेला-खरसावां – आदिवासी समुदाय के भुमि पर उधोगपति और भु माफियाओ का नजर बना हुआ है । दलमा के तराई और एन एच 33 भादुडीह पंचायत के जरियाडीह गांव के भुमि पर जवरन क्रिस्टल मेटाफोन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण किया जिससे लेकर पीछले 8 माह से ग्रामीण ग्राम सभा के अधीन विरोध विरोध प्रदर्शन कर रहे है ….. सरायकेला खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत चांडिल अंचल के भादु जारियाडीह गांव में स्थापित किए जा रहे हैं क्रिस्टल मेटाफोन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा गलत तरीके से किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के विरोध में भादूडीह पंचायत के गांवों की संयुक्त ग्राम सभा की गई। जारियाडीह ग्राम सभा कार्यालय में की गई उक्त संयुक्त बैठक की अध्यक्षता सुरेश हाँसदा ने की। इस अवसर पर बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरायकेला खरसावां जिला पूर्णत: अनुसूचित क्षेत्र है। और इस क्षेत्र में किसी भी योजना या परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से पूर्व भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और पेसा एक्ट 1996 अधिनियम के तहत ग्राम सभा से पारित होना अनिवार्य है। लेकिन चांडिल अंचल के जारियाडीह गांव में स्थापित किए जा रहे क्रिस्टल मेटाफोन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा भूमि अधिग्रहण एवं पर्यावरण स्वीकृति के लिए ना तो ग्राम सभा की गई है और ना ही कोई जनसुनवाई। जो भारतीय संविधान के पांचवी अनुसूची के अनुच्छेद 244 (1), भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और पेशा एक्ट 1996 का खुला उल्लंघन है। बैठक को ग्रामसभा बड़ालाखा के माझी ग्राम प्रधान घासीराम टूडू ने संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2012 में अधिसूचना जारी करते हुए दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। जहां दलमा वन्य जीव अभ्यारण के सीमा से 0 से 5 किलोमीटर परिधि की दूरी के भीतर प्रदूषण कारक उद्योगों की स्थापना पूर्णत: निषेध किया गया है। जबकि भादूडीह पंचायत का जारियाडीह गांव इको सेंसेटिव जोन से प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां उद्योग स्थापना पूरी तरह से और संवैधानिक है।
बैठक को संबोधित करते हुए समाजसेवी बसंती सरदार ने कही कि अधिग्रहित की जा रही भूमि आदिवासियत की पहचान है। जो पूजा स्थल होने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर भी है। जल जंगल और जमीन से जुड़े आदिवासियों की पहचान मिटाने का प्रयास भूमि अधिग्रहण के माध्यम से कंपनी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर मामले का स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों के हित में निष्पादन नहीं होता है तो ग्राम सभा द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा।
समाजसेवी राम हाँसदा ने अपने संबोधन में कहा कि पूरे मामले में कंपनी द्वारा किया जा रहा जमीन अधिग्रहण पूरी तरह से अवैध और गलत है। कानून होने के बाद भी कानून का पालन नहीं होने से ग्रामसभा आक्रोशित है। और 1 महीने के भीतर यदि सरकार द्वारा मामले का स्थानीय जनहित में निष्पादन नहीं किया जाता है तो तीर की नोक पर कंपनी को बंद कराने का काम करेंगे।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी नियमों और अधिनियम ओ को ताक पर रखकर कंपनी द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। इसे लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को संयुक्त ग्राम सभा द्वारा ज्ञापन सौंपा जाएगा। जिसमें क्रिस्टल मेटाफोन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी योजना को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की जाएगी।
बैठक में मुख्य रूप से बाबूराम सोरेन, वनमाली हाँसदा, गोकुल हेंब्रम, लालमोहन हाँसदा, सरोज मार्डी, विनोद मार्डी, अनूप महतो, तरुण महतो, विष्णु गोप, तपन कुमार मांझी, रूपाई माझी, जयराम माझी, राखाल मुर्मू, मोहन मार्डी, सिदु मुर्मू, विश्वनाथ मुर्मू, पर्वत हाँसदा, अर्जुन मार्डी एवं धीरेन मुर्मू मौजूद रहे।

Advertisements
Advertisements
Advertisements