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क्या ऐसे जीतेंगे कोरोना के खिलाफ जंग, हर किसी को सोचने की जरूरत !

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(सरायकेला ब्यूरो विकास कुमार ) कोरोना संक्रमण को लेकरकी दूसरी लहर प्रचंड रूप अख्तियार कर कहर बरपा रही है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से कोरोना पॉजिटिव केसो में जरूर कुछ कमी आई है। लेकिन खतरा अभी भी व्यापक और गहरा है। इसी बीच ब्लैक फंगस बीमारी पैर पसारने लगी है और कोरोना की तीसरी लहर की आहट चिंता को और बढ़ा रही है। विपत्ति के इस दौर में रोजी रोटी का संकट और दो जून रोटी का जुगाड़ एक समस्या बनी है लेकिन इन सबसे बड़ी कोरोना से बचकर खुद की जिंदगी बचाने और समाज की जिंदगी बचाने की भी चुनौती है। यही कारण है कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत लॉकडाउन लगाकर कोरोना को नियंत्रित करने का प्रयास चल रहा है। जिसमें प्रशासन जागरूकता और सख्ती के बल पर स्थिति नियंत्रण करने में जुटी है। लेकिन कोरोना का नियंत्रण केवल प्रशासनिक प्रयासों से संभव नहीं हो सकता। इसके लिए सभी लोगों को एकजुट होकर पूरी संजीदगी से प्रयास करने पर ही कोरोना के खिलाफ जंग में जीत संभव है। लेकिन दिनचर्या के हाट बाजार को देख तो ऐसा ही लगता है मानो लोग कोरोना से बेफिक्र ही हैं। सरायकेला जिला के सप्ताहिक हाट की स्थिति भी इसी का एक उदाहरण है। जहां स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत जारी लॉकडाउन में 2:00 बजे तक ही दुकान लगी। लेकिन इस दौरान दुकानों की भीड़ ऐसी उमड़ी जैसे की सामान्य दिन हो तथा बिना मास्क के लोग सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर जमकर खरीदारी की। इस बाजार में प्रशासनिक चौकसी भी नजर नहीं है। इसी का फायदा उठाकर लोग भी पूरी तरह बेपरवाह दिखे। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासनिक चौकसी या निगरानी में ही हम कोरोना के खिलाफ संजीदगी दिखाएंगे या फिर खुद अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने समाज के लिए एहतियाती कदम उठाकर कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग करेंगे। क्या इस आचरण से कोरोना को हम खत्म कर पाएंगे। इसे सभी को जरूर सोचना होगा।

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