पोटका/सरायकेला – – सूर्य उपासना का महान पर्व चैती छठ में भी कोरोना का प्रभाव देखने को मिल रहा है आज षष्ठी के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर छठव्रती परिवार की सुख समृद्धि शांति एवं पुत्र प्राप्ति के लिए इस कठिन व्रत का पालन करती हैं वही हाता, हल्दीपोखर, पोटका आदि क्षेत्रों में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर कठिन उपासना का महान पर्व चैती छठ मनाया गया महिलाएं छठ व्रत का बड़े ही कठिन व्रत का पालन करती है कहते हैं कि इस व्रत का पालन महिलाएं यदि सच्चे मन से करती है तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है साथ ही साथ महिलाएं इस व्रत को अपने पति एवं पुत्र की लंबी आयु के लिए भी करती है.
आस्था का महापर्व चैत्र महीने के छठ पूजा पर अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पण किया गया। इस अवसर पर कठिन तप व्रत के साथ निर्जला उपवास व्रत रखे हुए छठ व्रती और श्रद्धालु सरायकेला के खरकाई नदी तट स्थित जगन्नाथ मंदिर घाट पहुंचे। जहां छठ मैया के मनोहारी गीतों के बीच अस्ताचलगामी सूर्य देव को प्रथम अर्घ्य अर्पण किया गया। इस अवसर पर संतान प्राप्ति सहित संतान एवं परिवार के शुभ मंगल के लिए भगवान भास्कर और छठी मैया से प्रार्थना की गई। सोमवार की प्रातः उदीयमान सूर्य देव को दूसरा अर्घ्य अर्पण करने के पश्चात देव दर्शन कर छठ व्रती तकरीबन 36 घंटों से चले आ रहे अपने निर्जला उपवास व्रत को खोलेंगे।