SARAIKELA वेरी पॉजिटिव वेडने सडे :
धरती के अन्नदाता किसानों के लिए किसी ने सच ,यदि सच्ची लगन हो तो पत्थर पर भी फूल खिलते हैं।
सूखे के दिनों में उजाड़ रहने वाले खेत भी हरियाली से अब
लहलहा रहे हैं।
(मनरेगा से बनी 1100 फीट लंबी सिंचाई नाली में दर्जनों किसानों की बदल दी जीवन रेखा…..)
SARAIKELA : धरती के अन्नदाता किसानों के लिए किसी ने सच ही कहा है कि “मैं धरा के सीने में उम्मीद बोता हूं, मैं किसान हूं, चेन से कहां सोता हूं”….. कहते हैं कि काम के प्रति यदि सच्ची लगन हो तो पत्थर पर भी फूल खिलते हैं। सरकारी योजनाओं के लीपापोती की किस्साएं तो आपने दर्जनों सुनी होगी। परंतु जनहित की दृष्टि से एक पवित्र उद्देश्य के साथ बनाई गई सरकारी योजनाएं कितनी अधिक लाभप्रद हो सकती हैं
इसका नजारा सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बांधडीह गांव में देखा जा सकता है। जहां के किसान साल में सिर्फ एक ही खरीफ के धान की फसल पर निर्भर रहा करते थे, वही किसान आज रबी की फसल उपजाने के साथ-साथ सालों भर खेती करने के लिए कमर कसकर तैयार हैं। इसका नजारा किसानों की वर्तमान में 20 एकड़ जमीन पर लहलहाती बंधागोभी, फूलगोभी, बैगन, आलू, टमाटर एवं साग जैसी सब्जियों की खेती के रूप में देखा जा सकता है।
जी हां, किसानों के चेहरे पर यह खुशहाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत गांव क्षेत्र में बनाई गई 1100 फीट पक्की सिंचाई नाली के कारण संभव हो सका है। आज बांधडीह गांव के किसान अपनी कड़ी मेहनत से रबी फसल उपजा कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। प्रखंड के रोजगार सेवक शंकर सतपथी बताते हैं कि मनरेगा अधिनियम के तहत 1100 फीट लंबी पक्की सिंचाई नाली का निर्माण किया गया था। जिसमें मुख्य तालाब से किसान के खेतों तक पानी पहुंचता है। इससे लगभग 20 एकड़ खेती भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है। बरसात का पानी जब घर जाता था, तब किसान उक्त जमीन पर खेती नहीं कर पाते थे। इसलिए सिर्फ बरसात के मौसम में ही यहां धान की खेती होती थी। और वर्तमान में किसान अपनी कड़ी मेहनत से खेती कर एक अच्छी परिसंपत्ति का लाभ ले रहे हैं। वर्तमान में फसलों से लहलहाते खेतों को देखकर ग्राम सभा द्वारा भी उक्त जमीन पर नियमित सिंचाई के लिए स्थाई डीप बोरिंग का प्रस्ताव पारित किया गया है।
इस पूरे प्रोजेक्ट से लाभान्वित हो रहे बांधडीह गांव के किसान संतोष महतो, लव किशोर महतो, सुरेंद्र महतो, बबलू महतो, कन्हाय महतो, साइबो महतो, कांदरु महतो, वनमाली महतो एवं रामेश्वर महतो सहित अन्य किसान बताते हैं कि इस प्रकार नियमित सिंचाई की सुविधा उनके खेतों को मिलती रहे तो अच्छी वार्षिक खेती संभव हो सकती है। वाकई इस नजारे को देखकर बरबस कहा जा सकता है कि तदवीर के साथ अब तस्वीर बदलने की तैयारी है। वही जिले का हाल जाने तो सिंचाई के अभाव में जिले के अधिकांश खेतिहर भूमि सिर्फ खरीफ धान की फसल उपजाने तक ही सीमित बना हुआ है।