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सरायकेला नील क्रांति पॉजिटिव

सरायकेला-खरसावां (संजय कुमार मिश्रा) : बरसात के मौसम के आगमन के साथ सरायकेला खरसावां जिले में नील क्रांति के विकास को लेकर कवायद की जा रही है। इसके तहत जिले के किसानों के बीच मछली का जीरा वितरण किया जाएगा। इसको लेकर जिला मत्स्य विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी है। इस वर्ष जिले के लगभग चार सौ किसानों के बीच 10 हजार 7 सौ लाख मछली जीरा का वितरण होना है। वहीं जीरा के साथ साथ मत्स्य पालकों को जाल भी दिया जाएगा। जीरा 90 प्रतिशत के अनुदान पर दिया जाएगा। जिसमें मत्स्य पालकों को प्रति जाल के लिए दो हजार रूपये डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाएगा। जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि किसानों को दिए जाने वाले मछली जीरा को बड़ा आकार देने का काम किया जाएगा। जिसके बाद उन्हें वृहद जल क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि मछली जीरा वितरण होने से स्थानीय मत्स्य पालकों को सहजता से मछली जीरा उपलब्ध होगा। प्रदीप कुमार ने बताया कि किसानों को राज्य स्तरीय कार्यक्रम के तहत विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। जिसमें मछली के जीरा का देखभाल करने, फीड खिलाने आदि का जानकारी दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक किसान को मछली जीरा के साथ एक पैकेट फीड भी दिया जाएगा। प्रदीप कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में मत्स्य पालकों में मछली पालन के प्रति काफी रूची देखने को मिल रही है। पिछले वर्षों की तुलना में अब मत्स्य पालक मछली पालन कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में जानकारी के अभाव में मत्स्य पालकों को नुकसान होता था,

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लेकिन विभाग की ओर से प्रशिक्षण मिलने से उन्हें मछली पालन की सही विधि का जानकारी मिला है। उन्होने बताया  अभी तक 78 किसानों के बीच 1 हजार 220 लाख मछली का जीरा का वितरण किया जा चुका है। प्रदीप कुमार ने बताया कि किसानों को मोबाईल रिचार्ज के लिए पांच सौ रुपया अलग से मिलेगा। जिले में हेचरी में 80 लाख मछली के जीरा का उत्पादन किया गया। उन्होने कहा कि चांडिल डैम मैं केज फार्मिंग की मदद से दो लाख पैंगासियस मछली का जीरा स्टाक किया गया है। प्रदीप कुमार ने बताया कि जिले के कई ऐसे किसान हैं जो मछली पालन कर जीवन स्तर को ऊंचाईयों की ओर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले का चांडिल डैम मछली पालन में काफी आगे है। वर्तमान समय में चांडिल डैम के मछली पालन को राज्य में काफी सराहना मिल रही है। जिसे नील क्रांति के बेहतर उदाहरण के रूप में राज्य सहित देशभर में प्रसिद्धि मिल रही है।

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