सरायकेला- (संजय कुमार मिश्रा) सरायकेला-खरसावां जिले के अंतिम छोर पर रांची जिला की सीमा से सटा ऐतिहासिक गांव देवलटांड़ आज़ भी सरकार की उपेक्षा का शिकार है. यहां तक जानेवाली एकमात्र सड़क इस कदर बदहाली का शिकार है कि वाहन तो दूर पैदल तक चलना दूभर है. सालों पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी इस सड़क की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जबकि लगभग तीन हज़ार की आबादी वाले देवलटांड़ और डेढ़ हज़ार की आबादी वाले बगल के गांव जिलिंगआदर के लिए यह एकमात्र रास्ता है। जो ग्रामीणों को मुख्य सड़क से जोड़ता है। लेकिन उसकी दुर्दशा का आलम यह है कि उस सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है. बताते चलें कि देवलटांड़ गांव कई मायनों में ऐतिहासिक तौर पर अपना महत्व रखता है.
हाल ही में यहां स्थित प्राचीनतम भगवान महावीर जैन मंदिर को भारत सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित करते हुए इस गांव को जैन धर्मावलंबियों के साथ ही सभी पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान में इस गांव तक पहुंचने के लिए कोई भी ढंग की सड़क नहीं है. शिक्षा और संस्कृति के मामले में अलग पहचान रखने वाले इस गांव की एक विशेषता यह भी है कि अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके जननायक कर्पूरी ठाकुर की सुपुत्री का विवाह भी इसी गांव में हुआ था. स्थानीय शिक्षक सह समाजसेवी कुणाल दास ने बातचीत के दौरान बताया कि ईचागढ़ प्रखंड सहित पूरे जिले की शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में इस गांव का विशिष्ट योगदान रहा है, कारण काफ़ी संख्या में शिक्षक इस गांव से हुए हैं और अब भी विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं. सिर्फ यही नहीं सरकारी सेवा संबंधी अन्य क्षेत्रों में भी इस गांव के काफी लोग सेवा दे रहे हैं. साथ ही जैन मंदिर की वजह से यह ऐतिहासिक महत्व रखता है. लेकिन आवागमन के लिए बदहाल सड़क होने की वजह से एक बड़ी आबादी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सरकार से आग्रह है कि जल्द से जल्द यहां सड़क का निर्माण कर हमें इस समस्या से निजात दिलाएं.