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सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) सरायकेला की परंपरागत रथ यात्रा के तहत बाऊड़ा घूरती रथ करते हुए महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ दूसरे दिन श्री मंदिर पहुंचे। हालांकि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कर रथ का संचालन नहीं किया गया।

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कालूराम चौक पर रात्रि विश्राम के बाद बुधवार को भक्तों के कंधों पर सवार होकर महाप्रभु ने श्री मंदिर की यात्रा प्रारंभ की। इस दौरान उक्त तीनों देवी देवताओं के विग्रह को भक्त कंधों पर उठाये जय जगन्नाथ जय जय जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए तकरीबन 550 मीटर पैदल चलकर श्री मंदिर पहुंचे। जहां महाप्रभु का मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान के साथ स्वागत करते हुए सिंहासन पर विराजमान कराया गया। इस अवसर पर भक्तों ने महाप्रभु के दर्शन करते हुए पूजा आराधना की। जिसके पश्चात देर शाम महाप्रभु श्री जगन्नाथ चातुर्मास शयन के लिए चले गए। बताया गया कि देव प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी पर आगामी 14 नवंबर को चातुर्मास शयन से जाकर महाप्रभु अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
बताते चलें कि चातुर्मास शयन के प्रारंभ होने के साथ ही अगले 14 नवंबर तक के लिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्य धार्मिक मान्यता अनुसार स्थगित रखे जाएंगे। मान्यता है कि चातुर्मास शयन के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के दरबार में शयन करते हैं।

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