झारखंड आंदोलनकारी सम्मान समिति ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ज्ञापन सौंपकर झारखंड आंदोलनकारियों के सम्मान की मांग की…
सरायकेला Sanjay। झारखंड आंदोलनकारियों के सम्मान से संबंधित विभिन्न मांगों को लेकर झारखंड आंदोलनकारी सम्मान समिति हेंसा द्वारा राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को अलग-अलग मांग पत्र सौंपा गया है। जिसमें समिति के अध्यक्ष पूर्व सैनिक शंकर सोय एवं सचिव अतुल सरदार द्वारा राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को सौंपा गए एक अलग-अलग मांग पत्र में मांग की गई है कि 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में उड़ीसा पुलिस द्वारा चलाए गए गोली से हुए बहुसंख्या में शहीद हुए आंदोलनकारियों केरल की जांच कर चिन्हित करने की मांग की गई है। जिसमें उन्होंने बताया है कि खरसावां गोलीकांड के घायल प्रत्यक्षदर्शी रहे स्वर्गीय दशरथ मांझी और स्वर्गीय मांगु सोय ने अपने जीवित काल में भूतपूर्व सैनिक शंकर सोय को खरसावां गोलीकांड का वास्तविक स्थल दिखाए थे। जिसको सार्वजनिक करना और जांच कर चिन्हित करना आवश्यक है। उक्त गोलीकांड में हजारों की संख्या में आदिवासी शहीद हुए थे। परंतु दुख की बात यह है कि आज तक उप गोलीकांड का न्याय उचित खोजबीन और जांच नहीं हुआ है। इसलिए समिति द्वारा खरसावां गोलीकांड के वास्तविक स्थल की जांच कर चिन्हित करने की मांग की जा रही है।
मुख्यमंत्री को सौंपे गए एक अन्य मांग पत्र में समिति द्वारा मांग की गई है कि मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमूर्ति मंत्रालय, सचिवालय, विधानसभा भवन एवं झारखंड के सभी जिला मुख्यालय में निर्माण कराया जाए। जिसमें उन्होंने कहा है कि सर्वप्रथम अलग झारखंड राज्य की मांग करने वाला संविधान सभा के सदस्य रहे मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का झारखंड वासियों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिनके स्टेच्यू निर्माण से आने वाली पीढ़ी उनके पद चिन्हों पर चलकर झारखंड राज्य का भविष्य के सपनों को पूरा करने में सफल हो सकेगी। इसी प्रकार मुख्यमंत्री को सौंपे गए एक अन्य मांग पत्र में समिति द्वारा अंग्रेज शासन के विरुद्ध झारखंड आंदोलनकारी शहीद योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिवर्ष राशि आवंटन करने की मांग की है।
जिसमें उन्होंने कहा है कि अंग्रेजी शासन के विरुद्ध झारखंड में विभिन्न समय में कोल(हो) विद्रोह, संथाल विद्रोह, मुंडा विद्रोह, भूमिज(चुआड) विद्रोह आदि के साथ-साथ अनगिनत छोटे-छोटे विद्रोह हुए थे। अंग्रेज आंदोलन को दबाने के लिए क्रूरता पूर्वक आंदोलनकारियों के ऊपर गोली चला कर या तो आंदोलनकारी नेताओं को बर्बरता पूर्वक फांसी पर लटका दिया गया। जहां-जहां घटना घटा था उस शहीद स्थल पर प्रतिवर्ष शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए तथा शहीद स्थल के रखरखाव के लिए सरकार की ओर से प्रतिवर्ष सहयोग राशि आवंटन किए जाने की व्यवस्था करने की मांग समिति द्वारा की गई है।