वीसल की लाश बुधवार को मटकारा ग्राम पहुंचे, जरमुंडी बीडीओ मुर्मू, सीओ राजकुमार प्रसाद, विक्रम पत्रलेख व अन्य…
बासुकीनाथ (दुमका) मौसम कुमार गुप्ता
परिवार के लिए रोटी कमाने घर से निकला मटकारा ग्राम के देवीसल मरांडी की लाश बुधवार को कृषि मंत्री सह स्थानीय विधायक बादल पत्रलेख के प्रयास से गांव पहुंची। मजदूर का शव गांव पहुंचने पर माहौल गमगीन हो गया। परिजनों के चीख पुकार से सबकी आंखे नम हो गई।
इस हादसे में शामिल मटकारा के मृतक देवीसल मरांडी का भाई मेरूलाल मरांडी, अन्य मजदुर सुखलाल मरांडी, मुंशी किस्कू और बेरबाना गांव के नायकी टुडू की तलाश जारी है। इनके सलामत लौटने की उम्मीद अब धीरे धीरे धूमिल पड़ती जा रही है। देवीसल मरांडी के परिवार की तरह अन्य परिवारों का भी दर्द नासूर बन गया है। परिजनों की आंखे अपने लाल को सही सलामत देखने के लिए रह रहकर छलछला रही है। मृतक देवीसल मरांडी के परिवार की स्थिति काफी दयनीय है।
देवीसल और उसका भाई रूसीलाल, परिवार के लिए चार पैसे जोड़ने के लिए चेन्नई जा रहा था, लेकिन बालासोर उड़ीसा में भीषण ट्रेन हादसे ने कई परिवारों को बेसहारा कर दिया। हादसे में रूसी लाल का कहीं पता नहीं है। घर के कमाऊ सदस्य अब नहीं बचे हैं। देवीसल मरांडी अपने पीछे एक साल का बेटा और पत्नी समेत परिवार को बेसहारा छोड़ कर चला गया है। अब तो रूसी लाल की उम्मीद भी शेष नहीं बची है। आखिर बेसहारा परिवार कैसे अपनी गुजारा करेगा गरीबी और तंगहाली में जीते परिवार की गाड़ी पहले बड़ी मुश्किल से चल पाती थी अब तो गुंजाइश ही नहीं बची है।
बुधवार को मटकारा गांव में देवीसल का शव पहुंचने पर शोक संतप्त परिवार और ग्रामीणों को सांत्वना देने जरमुंडी प्रखंड विकास पदाधिकारी फुलेश्वर मुर्मू, अंचलाधिकारी राजकुमार प्रसाद, हरेंद्र प्रसाद, कृषिमंत्री के भाई सह समाजिक कार्यकर्ता विक्रम पत्रलेख व अन्य गांव पहुंचे। पदाधिकारियों ने परिवार के लोगों और ग्रामीणों को सांत्वना दिया।
. उड़ीसा के बालासोर में ट्रेन हादसे का शिकार हुए देवीसल के साथ जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र सहित रामगढ़ प्रखंड के कुल 19 मजदूर भी ट्रेन में सवार होकर चेन्नई मजदूरी करने जा रहे थे। सभी मजदूरों को राजासिमरिया पंचायत के दयालपुर गांव निवासी लखन मांझी लेकर जा रहे थे। इस घटना में लखन मांझी के सलामती की कहीं कोई सुराग नहीं मिल सका है। दयालपुर के दो सगे भाई भोला राउत व प्रमोद राउत इस हादसे ही इस भीषण हादसे में सही सलामत लौट सके हैं। हादसे के शिकार अन्य मजदूरों की पहचान भी नहीं हो सकी है। धीरे धीरे बाकी मजदूरों की सलामती की उम्मीद भी छूटती जा रही है। देवीसल मरांडी के शव की पहचान हुई तो बुधवार को उसकी लाश कम से कम गांव पहुंची। लेकिन अन्य मजदूरों का कहीं अता पता नहीं है।