Spread the love

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सौरभ तिवारी ने सभी फॉर्मेट से लिया संन्यास, क्रिकेट छोड़ रहा हूं लेकिन मैदान आना नही…

बॉक्स के लिए : हार्ड वर्क से ज्यादा नए खिलाड़ियों को स्मार्ट वर्क की जरूरत : सौरभ तिवारी…

दीप पोल आदित्यपुर: भारत की तरफ़ से तीन वनडे खेलने वाले झारखंड के क्रिकेटर सौरभ तिवारी ने अंतर्राष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। 34 वर्षीय सौरभ पिछले कुछ समय से घुटने की चोट से परेशान थे, हालांकि वह लगातार घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे। सौरभ फ़िलहाल झारखंड की रणजी टीम के साथ हैं। 15 फ़रवरी से शुरू हो रहे झारखंड और राजस्थान का रणजी मैच उनके करियर का आख़िरी मैच होगा।

Advertisements
Advertisements

हरियाणा के ख़िलाफ़ झारखंड की हार के बाद भावुक सौरभ ने अपनी संन्यास की घोषणा करते हुए कहा, “मैं एक ऐसा लड़का रहा हूं, जिसने स्कूलिंग से पहले ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। आज इतने लंबे सफ़र को अलविदा कहना थोड़ा मुश्किल ज़रूर है लेकिन मुझे यह भी पता है कि इस फ़ैसले का यह बिल्कुल सही समय है। मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप नेशनल टीम में शामिल नहीं हो सकते या फिर आईपीएल में नहीं है तो यही ठीक है कि राज्य की टीम में युवा लड़को के लिए जगह खाली की जाए। हमारी स्टेट की टीम में अभी युवाओं को भरपूर मौक़ा दिया जा रहा है और इस कारण से मेरा यह फ़ैसला काफ़ी लाज़मी भी है।”
उन्होंने आगे कहा, “आगे मैं क्या करूंगा, यह सवाल हमेशा पूछा जाता है लेकिन जवाब एक ही है कि मुझे सिर्फ़ क्रिकेट ही आता है तो मैं उसी से जुड़ा काम करूंगा। राजनीति में जाने के लिए मुझे ऑफ़र आया था लेकिन उसके बारे में मैंने सोचा नहीं है। मेरे लिए क्रिकेट का सबसे अच्छा पल अंडर-15 के दौरान आया था। तब मेरे पिता सुनील कुमार तिवारी ने मुझे गोद में उठाया था और मैंने तभी अपना पहला शतक लगाया था।”
झारखंड के जमशेदपुर से आने वाले सौरभ ने साल 2006 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया था। वह 2007-08 में विराट कोहली के नेतृत्व वाली अंडर-19 विश्व कप टीम का भी हिस्सा थे। इसके बाद सौरभ ने घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया और IPL में मुंबई इंडियंस ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया।

साल 2010 में उन्होंने IPL में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब भी जीता था। इस साल उन्होंने 135.59 की स्ट्राइक रेट और तीन बेहतरीन अर्धशतक की मदद से कुल 419 रन बनाए थे। टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल में एक समय पर मुंबई की टीम मुश्किल में लग रही थी, लेकिन सौरभ ने अर्धशतक लगाते हुए कायरन पोलार्ड के साथ मैच जिताऊ साझेदारी की और अपनी टीम को फ़ाइनल में पहुंचाया। इस सीज़न उन्होंने कुल 18 छक्के लगाए थे, जिसके कारण उनके फ़ैंस उन्हें बाएं हाथ का धोनी भी पुकारने लगे थे।

2010-11 का साल सौरभ के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण रहा। IPL में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें भारत की वनडे टीम में भी बुलावा आया। वहीं घरेलू क्रिकेट में उनकी कप्तानी में झारखंड की टीम ने विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी जीत कर सबको चौंका दिया था।

हालांकि भारतीय टीम में उनका सफर सिर्फ़ तीन वनडे मैचों तक ही सीमित रहा। अक्तूबर 2010 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ डेब्यू करने के बाद उन्होंने उसी साल दिसंबर में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ दो वनडे खेले, जिसमें उन्होंने क्रमशः नाबाद 12* और नाबाद 37* रन बनाए, जबकि आख़िरी मैच में उनकी बल्लेबाज़ी नहीं आई।

Advertisements

You missed