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सात किमी की दुर्गम पहाड़ी रास्ते को तय कर ग्रामीणों के बीच पहुंचे जीसीएम व डीडीएम

-रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रमोशनल फंड के अंतर्गत सौर विद्युतीकरण से गांवों को किया रौशन।

-नीमडीह प्रखंड में सबर और महली समुदाय के हैंडीक्राफ्ट आर्टिजन के लिए चलाए जा रहे ओएफपीओ योजना का भी किया भ्रमण।

सरायकेला-खरसावां(संजय मि़श्रा) : नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ गोपा कुमारण ने गुरूवार को सरायकेला-खरसावां जिले के अपने एक दिवसीय दौरे के क्रम में नाबार्ड के माध्यम से चलाए जा रहा विभिन्न योजनाओं का भ्रमण कर उसकी गुणवत्ता और प्रगति का जायजा लिया। सीजीएम के साथ नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक सिद्धार्थ शंकर भी शामिल रहे।

 

 

इस क्रम में डॉ गोपा कुमारण नायर ने चांडिल प्रखंड के हेन्साकोचा गांव के दुर्गम पहाड़ पर स्थित टोले कदमबेरा, माचाबेरा, दिगर्दा और लकराकोचा का भ्रमण किया। ज्ञात हो चांडिल प्रखंड के हेसाकोचा गांव के ये चार टोले सुदूर दुर्गम पहाड़ी पर स्थिति हैं। नाबार्ड इनमें से दो टोलो कदम्बेरा और माचाबेरा में स्थित सभी 73 पहाड़िया आदिम जाति के परिवारों अपने रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रमोशनल फंड के अंतर्गत सौर विद्युतीकरण से रौशन किया है। दुर्गम ऊंची पहाड़ पर स्थित होने के कारण यहां के ग्रामीण सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ जैसी मुलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्षरत हैं। प्रकृति प्रेमी पहाड़िया आदिम जनजाति के लोगों के इस दुर्गम टोले तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच लगभग 6 से 7 किमी की पैदल पहाड़ी की चढ़ाई पार करनी पड़ती है। संसाधन के अभाव में इन परिवारों को विशेष कर महिलाओं और बच्चों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। आर्थिक अभाव के कारण इन परिवार के लोग लालटेन या ढिबरी का खर्च वहन करने में भी असमर्थ है। लेकिन सोलर विद्युतीकरण के कारण अब इनके दैनिक जनजीवन में बदलाव तो आया ही साथ ही साथ इन परिवार के बच्चों की शिक्षा पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव आ रहा है। इसके अलावा बेहतर जीवकोपार्जन के अवसर प्रदान करने हेतु नाबार्ड द्वारा कदमबेरा, माचाबेरा सहित दो अन्य टोलो डिगार्डा तथा लाकरकोचा में नाबार्ड द्वारा फार्म सेक्टर डेवलपमेंट फण्ड के अंतर्गत पेयजल तथा कृषि की सुविधा के लिए पक्के चुए, एक नए तालाब का निर्माण, एक पुराने तालाब का जीर्णोधार, एक नए डोभा का निर्माण, एक पॉली नर्सरी का निर्माण करवाया गया है। इन परिवार के लोग चावल पानी खा कर अपना पेट भरते थे और पोषक तत्त्व कि कमी से ग्रसित थे। नाबार्ड ने मकई, टमाटर, बैगन, मिर्ची, ओल, हल्दी, अदरख, कच्चू, करेला, नेनुआ, सीम, बरबट्टी, आम, कटहल, लीची, पपीता, अमरुद आदि की खेती का प्रशिक्षण के साथ खाद, बीज इत्यादि उपलब्ध करवा कर स्वयं के भरण पोषण के साथ अतिरिक्त उत्पादन को बाजार में बेच कर पैसे कमाने का राह दिखाया। मुख्य महा प्रबंधक नाबार्ड ने इन दोनों योजनाओं की प्रगति पर संतोष जाहिर करते भविष्य में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। इस अवसर सिद्धार्थ शंकर जिला विकास प्रबंधक ने कहा इन आदिम जनजाति समुदायों के विकास के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। इसके अलावा मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड ने नीमडीह प्रखंड में सबर और महली समुदाय के हैंडीक्राफ्ट आर्टिजन के लिए चलाए जा रहे ओएफपीओ योजना का भी भ्रमण किया। इन कारीगरों द्वारा कांसी घास और बांस के कई प्रकार के सजावट और घरेलू उपयोग सामान बनाए जा रहे हैं। इस क्रम में मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड ने केतुंगा, समानपुर इत्यादि गांव का दौरा किया और कारीगारों का उत्साहवर्धन किया। ज्ञात हो कि इस योजना के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा इन कारीगरों को प्रशिक्षण, क्षमता विकास इत्यादि के साथ साथ विभिन्न प्रकार के मशीन-यन्त्र, सामुदायिक उत्पादन केंद्र, विपणन इत्यादि के लिए वित्तीय सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।

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