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बिहार : गुरूजी कीचड़ से सने पहुंचे स्कूल
हाजिरी एप से, वेतन चार महीने गैप से…

संजय कुमार विनीत …✍️

भले ही बिहार में शिक्षकों को होली में भी वेतन के लाले पडे हों, पर बिना बच्चों के भी स्कूल आना अनिवार्य है। बिहार में होली का खुमार अब पूरी तरह से चढ़ चुका है, और आज बिहार में होलिका दहन के पहले धुरकेल का प्रचलन है। सुबह से ही पुरे बिहार में धुरकेल खेली जा रही है, और ऐसे में किसी बच्चों का स्कूल आना किसी हाल में संभव नहीं है। पर शिक्षक कादो कीचड़ से सने स्कूल पहुंचने को मजबूर हैं।

बिहार में शिक्षकों का वेतन पिछले चार महीने से नहीं दिया गया है और अब होली जैसे पर्व पर भी कीचड़ से सने वेतन की लालसा लिए स्कूल जाना शिक्षकों को आक्रोशित कर रहा है। सबसे बुरा हाल तो वैसे विशिष्ट शिक्षकों का है, जिन्होंने सरकार की बात मान एक कठिन परीक्षा देकर अपने संवर्ग को बदला है। करोड़ों बच्चों के अपार कार्ड शत प्रतिशत नहीं बनाने पर शिक्षकों को वेतन से वंचित करने के आदेश देने वाले पदाधिकारी आज डेढ़ लाख शिक्षकों के प्राण तक तीन महीने में जेनेरेट कर पायें हैं।

ये सभी विशिष्ट शिक्षक 15 – 20 बर्षो से सेवा में हैं। और सबों की अपनी अपनी लम्बी लम्बी जिम्मेदारियां हैं। किसी को घर बनाने में लिये गये लोन के इएमआई देने होतें हैं तो किसी को अन्य प्रकार के लोन के लिए इएमआई। किसी के बच्चे बाहर पढ़ रहें हैं तो, किसी को परिवार में बुढे माता पिता की देखभाल के लिए नियमित समय पर वेतन की आवश्यकता होती है। अब वेतन का निर्धारण के बाद हाथ में कम रूपये मिलने की भी बात आ रही है। इससे ये सभी विशिष्ट शिक्षक सरकार द्वारा ठगे जाने की बात कह रहे हैं।

बिहार के सरकारी शिक्षक आज धुरकेल के दिन स्कूल जाने के दौरान बुरे फंसे। उन्हें भी रास्ते में युवकों ने मिट्टी और कीचड़ से भर दिया। कुछ शिक्षक जब स्कूल पहुंचे तो पहचान में भी नहीं आ रहे थे। ड्यूटी का निर्वहन आवश्यक है, वैसे भी आज बिहार में सभी स्कूल, कालेज, आफिस और बैंक खुले हुए हैं। पर स्कूल छोटे छोटे गांवो में होते हैं, जहाँ ऐसे दिनों में पहुँच के साधन कम होते हैं। खासकर महिलाओं को आना जाना और भी कष्टकर और खतरे में होता है। और उसपर बच्चों की उपस्थिति ऐसे दिनों में बिल्कुल नहीं होती।

अपने को सनातनियों के हमदर्द कहने वाली बीजेपी -जदयू एनडीए सरकार अब होली जैसे पर्व पर भी वेतन नहीं दे पा रही है। इसे लेकर विधानपरिषद में कयी विधायकों ने आवाज भी उठायी और प्रदर्शन भी किया, पर सरकार की रटीरटाई जबाब के अलावे शिक्षकों को कुछ नहीं हासिल हो पाया। शिक्षा पदाधिकारी से प्रताड़ित होकर विधान परिषद की चुनाव लड़ जीतने वाले वंशीधर ब्रजवासी ने तो पुरे बदन पर शिक्षकों की मांग को लेकर पोस्टर तक लगाकर प्रदर्शन किया, सदन में आवाज भी उठाई। पर सिवा रटीरटाई आश्वासन भरे जबाब के अलावे शिक्षकों को कुछ नहीं मिल पाया। वंशीधर ब्रजवासी ने अपने पोस्टर में लिखा था कि हाजिरी बनाओ एप से और वेतन मिलेगा चार महीने गैप से।

आज जब अन्य स्कूलों में परीक्षा संचालन को गये शिक्षक अपने मूल विधालय में योगदान करने के आदेश पर कीचड़ से सने स्कूल पहुंचे तो काफी आक्रोशित देखें गये। होली जैसे पर्व पर भी चार चार महीने के वेतन पर कुंडली मारकर सरकार का बैठना अब शिक्षकों को आक्रोशित होने पर मजबूर कर रहा है।

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