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चाकुलिया : फूलों से लद गये काजू, साल व महुआ के पेड़, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है वनोत्पाद

(विश्वकर्मा सिंह) चाकुलिया वन क्षेत्र के जंगलों में वनोत्पाद चुनने का मौसम दस्तक दे चुका है. साल, काजू और महुआ के वृक्ष फूलों से लद गए हैं. काजू के वृक्ष फूल एवं फलों से लद गए है. साल के बीज और महुआ के फूल भी झड़ने लगें है और ग्रामीण इन्हें चुनने में व्यस्त है. उल्लेखनीय हो कि इस क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था वनोत्पाद पर आधारित है. वनोत्पाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

साल के बीज को चुनकर ग्रामीण बेचते हैं

चाकुलिया वन क्षेत्र में काजू के वृक्ष फूलों से लद गए हैं और छोटे-छोटे फल निकलने शुरू हो गए हैं. चाकुलिया वन क्षेत्र में लगभग 4000 हेक्टेयर वन भूमि और रैयत भूमि पर काजू के जंगल हैं. इस वन क्षेत्र में साल जंगल भी बहुतायत हैं. साल वृक्षों के फूल झड़ने लगें और ग्रामीण साल के बीज चुनने में मस्त हो गए. विदित हो कि इस इलाके में साल का बीज एक महत्वपूर्ण वनोत्पाद है. इसके बीज को चुनकर ग्रामीण बेचते हैं. इससे उन्हें आमदनी होती है.

मिनी काजू प्रोसेसिंग प्लांट खोला गया था लेकिन सफल नहीं हो पाया
साल के बीज के तेल से दवाइयां बनाई जाती हैं. विदेशों में साल के बीज का प्रयोग कीमती चॉकलेट बनाने में भी होता है. साल बीज पर आधारित उद्योग नहीं होने के कारण यहां के जंगलों में उत्पादित साल के बीज को ग्रामीणों से खरीद कर स्थानीय छोटे व्यापारियों को बेचते हैं और छोटे व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचते हैं. महुआ भी एक प्रमुख वनोत्पाद है. जंगलों में ग्रामीण महुआ का फूल चुनकर सुखाते हैं और उसे व्यापारियों को बेचते हैं. क्षेत्र में काजू प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने के कारण यहां उत्पादित काजू बीज पश्चिम बंगाल में भेजा जाता है. वन विभाग द्वारा कई साल पूर्व बहरागोड़ा और चाकुलिया में मिनी काजू प्रोसेसिंग प्लांट खोला गया था. परंतु सफल नहीं हो पाया.

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