पारादीप के मठाधीश जगदानंद सरस्वती के आर्शिवचन से भक्त हुए गदगद,
पश्यात्या संस्कृति को छोड़ भारतीय संस्कृति को
अपनायें….मठाधीश जगदानंद सरस्वती महाराज
चाण्डिल – सरायकेला खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के तुता गांव के अजीत भवन मे मंगलवार को विशेष संघादिवेसन का आयोजन किया गया । तुता सारस्वत संघ ईकाई द्वारा सतसंग का आयोजन किया गया । सारस्वत संघ के संघादिवेसन मे पारा द्वीप के मठाधीश जगदानंद सरस्वती महाराज के सभापतीत्व मे संघ परिचालन किया गया ।
कोच बिहार नीगम नगर के माधव चौतन्य ब्रह्मचारी को प्रधान अतिथि के आसन पर वरण किया गया । वहीं श्रद्धालुओं व अनुयायीयों ने मठाधीश व ब्रह्मचारी का गुरू सिष्य परंपरा के अनुसार माला चंदन देर स्वागत किया गया । विशेष संघादिवेसन मे परमहंस 108 परिब्रजकाचार्य स्वामी श्री श्री निगमानंद सरस्वती देव का पुजा पाठ कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । वैसे सार्वभौम सदगुरु निगमानंद देव के अनुनायीयों के द्वारा भजन संकिर्तन का भी आयोजन किया गया ।
भजन संकिर्तन मे उपस्थित श्रद्धालु भी झुमते गाते गुरू महाराज का जयकारे लगाए गए।संघादिवेसन के बाद महा प्रसाद का वितरण किया गया तथा भंडारा का भी आयोजन किया गया। वहीं शिव ज्ञान मे जीव सेवा व आदर्श परिवार गठन , मुस्ठी संग्रह व नीयम पंचक का पालन के लिए श्री श्री नीगमानंद देव का आह्वान को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया । वहीं पारा द्वीप के मठाधीश जगदानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि संघादिवेसन मे गुरू सीष्य का आंतरिक मिलन होता है । उन्होंने कहा संघ के माध्यम से सत्संग से ही हिंसा, लोभ, अत्याचार से लोगों को दुर रखा जा सकता है ।
उन्होंने कहा कि स्वामी निगमानंद सरस्वती देव अपने भक्तों के लिए कुछ विशेष नियम बनाए हैं, जिसे आत्मसात कर हम पश्यात्य संस्कृति से अपने आप को बचाकर भारतीय संस्कृति का विकास कर सकते हैं । कहा की भारतीय ऋषि परंपरा एक दिन विश्व मे अपनाया जाएगा । इस अनुष्ठान में कोलाबीरा, दुगनी, चांडिल ,चौका, पाथराखुन, चिपङी आदि सारस्वत संघ के सैकड़ों अनुनायी भाग लिए । मौके पर विनोद बिहारी बेज, राजकिशोर महतो,बासुदेव चटर्जी, बासुमती महतो ,पूर्ण शशि महतो अजीत महतो , सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे ।