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सीडब्ल्यूसी ने रेकार्ड समय में एडोप्सन के लिए बालक को किया लीगली फ्री दो माह पांच दिन के इस बालक का दुमका के पीजेएमसीएच में हुआ था जन्म 60 दिन पूर्व मां ने बच्चे को सरेंडर करने के लिए समिति को दिया था आवेदन…

मौसम गुप्ता। दुमका:

दुमका। सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) ने दुमका के पीजेएमसी अस्पताल में जन्म लेने वाले एक बालक को रेकार्ड समय में एडोप्सन के लिए लीगली फ्री घोषित किया है। बालक की माता ने प्रसव के चार दिनों के बाद अस्पताल से छूट्टी मिलने पर इस बालक को सरेंडर करने का सीडब्ल्यूसी को आवेदन दिया था। समिति ने बालक को उसकी माता के साथ बालिका गृह में आवासित कर दिया था।

60 दिनों के पुनर्विचार अवधि के दौरान महिला की चार बार काउनसेलिंग भी करवायी गयी जिसमें उसे समझाया गया कि बालक को उसे ही रखना चाहिये, पर वह उसे अपनाने से इनकार करती रही। अंततः मंगलवार को चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय और कुमारी बिजय लक्ष्मी के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष बालक और उसकी माता को प्रस्तुत किया। मां ने अपने बेटे को सरेंडर करने के डीड पर टीप निशान लगा दिया जबकि गवाह के रूप में पंचायत की मुखिया और सेविका ने अपने हस्ताक्षर किये।

समिति ने सरेंडर डीड को एक्सक्यूट करते हुए बालक को एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया। बालक को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में आवासित करते हुए केयरिंग्स में उसका विवरण अपलोड करते हुए उसे गोद देने की कानूनी प्रक्रिया को अपना का आदेश दिया गया है। इस बालक के माता के सीडब्ल्यूसी आने, बालक के जन्म और एडोप्सन की प्रक्रिया भी ऐतिहासिक है।

दरअसल एक विधवा महिला जब गर्भवती हो गयी तो परिवार व समाज ने उसे प्रताड़ित कर बाहर निकाल दिया। ऐसे में सदर प्रखण्ड की एक महिला मुखिया ने गर्भवती महिला को संरक्षण दिया और समिति को इसकी सूचना दी। समिति ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस गर्भस्थ बालक का केस रजिस्टर किया और महिला को धधकिया स्थित बालगृह (बालिका) में आवासित कर दिया।

बालगृह के देरखरेख में प्रसव पीड़ा होने पर महिला को पीजेएमसीएच में भर्ती करवाया गया जहां उसने एक स्वस्थ्य शिशू को जन्म दिया। समिति द्वारा बालक को लीगली फ्री किये जाने के बाद कारा (सेट्रल एडोप्सन रिसोर्स ऑथीरिटी) के तहत निबंधित लगभग 30 हजार दंपत्तियों में से किसी एक को यह बालक एडोप्सन के नियम एवं प्रक्रिया के तहत गोद दे दिया जायेगा।

इस बालक को उसी प्रकार से सभी कानूनी हक मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलता है। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि समिति इस महिला को उसके परिवार में पुनर्वासित करने के लिए भी तमाम प्रयास कर रही है।

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