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बैंकर दंपत्ति के घर से सीडब्ल्यूसी ने नाबालिग नौकरानी का किया रेस्क्यू
बाल मजदूरी करवाने व बालिका के साथ मारपीट करने की मिली थी शिकायत
सीडब्ल्यूसी, डीसीपीयू व नगर थाना पुलिस के धावा दल ने किया रेस्क्यू…

मौसम गुप्ता दुमका:

बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट को ऐसी सूचना मिली थी कि दुमका शहर के एलआईसी कोलोनी में एक बैंकर दंपत्ति बालिका को नौकरानी के रूप में अपने घर में रखे हुए है और उसके साथ मारपीट भी करती है।
चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में हुए समिति के बैठक में इस मामले में धावा दल का गठन करते हुए बालिका का रेस्क्यू करने का निर्णय लिया गया।

धावा दल एलआईसी कोलोनी के उस आवास तक पहुंचा तो वह बंद पाया गया। छानबीन करने पर वहां एक 14-15 साल की बालिका मिली। सूचना देने पर उसकी मालकिन घर पहुंची। सीडब्ल्यूसी सदस्य कुमारी बिजय लक्ष्मी, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, चाइल्ड हेल्पलाइन के निक्कु कुमार, निशा कुमारी, इब्नूल हसन, ऋतिका कुमारी व खुशी कुमारी और नगर थाना के एएसआई राज राम के धावा दल ने बालिका का रेस्क्यू किया और उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।

चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने बालिका और उसे काम पर रखनेवाली महिला का बयान दर्ज करते हुए इस मामले की सुनवाई की। बालिका ने अपने बयान में बताया कि उसकी उम्र 15 वर्ष है पर वह वर्ष 2019 से ही उस घर में काम कर रही है जब उसकी उम्र 11 वर्ष थी। वह सुबह 5ः30 बजे उठती है घर का काम करने के बाद सब्जी भी काटती है। दंपत्ति को एक बच्ची है जिसकी देखरेख भी वह करती है।

वह खुद सात बहन और एक भाई है। उसके पिता खेतीबाड़ी करते हैं। गांव के रिश्ते के दादा ने उसे इस घर में काम पर रखवाया था। वह साल में एक-दो बार अपने घर भी जाती है। उसके काम के एवज में उसके पिता को पैसे दिये जाते हैं। घर में चार कमरा है लेकिन वह फर्श पर सोती है। वह कक्षा 6 तक पढ़ी है। उसके पिता ने काफी खेत गिरवी रखा हुआ है। उसकी मालकिन सुबह 9ः30 बजे बैंक जाती है, मालिक भी बैंक में नौकरी करते हैं। दोनों की अनुपस्थिति में वह बेटी की देखभाल करती है।

बालिका ने अपने मालकिन के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की। यह कहा कि मालकिन उसके साथ मारपीट नहीं करती है। उसने अपनी मालकिन के साथ ही वापस जाने की इच्छा जतायी। उसकी मालकिन ने भी अपने बयान में स्वीकार कि वर्ष 2019 से ही बालिका को उसने घरेलु नौकरानी के रूप में अपने घर में रखा हुआ है।

उसकी अपनी बेटी कक्षा 3 में पढ़ती है पर बालिका का उसने किसी स्कूल में नामांकन नहीं करवाया है। बालिका उसके घर में झाड़ु-पोंछा व कपड़ा सफाई करती है। वह उसके काम के एवज में उसके पिता को हर माह 3000 रुपये देती है। समिति ने इस मामले को बाल मजदूरी के रूप में रजिस्टर किया है।

बालिका के सर्वोत्तम हित में फिलहाल उसकी मालकिन को फिट पर्सन घोषित करते हुए बालिका को उसके साथ घर भेज दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवायी 17 जनवरी को निर्धारित करते हुए उस दिन बालिका के साथ उसके पिता और उसकी मालकिन को समिति के समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया गया है।

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