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आखिर कार बिमल कुमार सिंह और उनके कुछ सहयोगियों के दमखम से घाटशिला, गोपालपुर के मुख्य सड़क का जीर्णोद्धार हुआ …

घाटशिला (✍दीपक नाग, न्यूज ब्यूरो हेड)

उल्लेखनीय है कि, गोपालपुर के मुख्य सड़क जगह – जगह से टाटा पड़ा हुआ है । करीब एक सप्ताह पहले भारी भारी बारिश के कारण इन गड्ढों मे पानी भर जाने के कारण आवागमन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था साथ ही साथ किसी तरह का दुर्घटना को टाला जा सके। राजनीति दल के स्वयंभू नेता और प्रशासन के अधिकारीयों को इस सड़क से गुजरना पड़ता है । स्थानीय सांसद (भाजपा) और विधायक (झामुमो) को समय समय पर इस राह से गुजरना पड़ता है ।

बाबजूद इसके, गड्ढे मे समाया हुआ इस मुख्य सड़क के प्रति इनके दिलों मे कोई संवेदना नही जागा । परिणाम स्वरूप, अकेला एक युवक ‘बिमल कुमार सिंह’ हांथ मे फावड़ा लेकर एक सप्ताह पूर्व खुद सड़क मे जमा पानी के लिए निकासी का रास्ता बना कर लोगों के चलने के लायक रास्ता को अंजाम दिया । शोसल मिडिया और समाचारों मे भी इस सड़क के दुर्गति का खुलासा किया ।

जिम्मेदार जन प्रतिनिधि और सरकारी आला अधिकारियों के कानो मे जूं तक नही रेंगा कि, कुछ मरम्मत ही करवा दे ताकि, जनजीवन स्वस्थ रह सके । इधर बिमल कुमार सिंह कोशिश मे लगा रहा कि, कैसे समस्या का समाधान हो । कहते है, जहां चाह वहां राह । कुछ लोगों ने इन गड्ढों को भरने के लिए उन्हे Hindustan Copper Limited से कचड़ा स्वरूप निकले वाला स्लैग घटना स्थल पर गिरवा दिया । देर न करके, बिमल कुमार सिंह अपने कुछ सहयोगियों के साथ गोपालपुर के मुख्य सड़क का जीर्णोद्धार करने कमर कस कर उतर गए।

2024 मे लोक सभा का चुनाव और झारखंड मे विधान सभा का चुनाव होना तय है । ऐसी हालत मे इस क्षेत्र के मुख्य राजनीतिक दल के लोगों का इस तरह धृतराष्ट्र बन कर रहना कहीं चुनाव के रण भूमि मे जनता का सामना करना महंगा साबित न हो जाए । जमशेदपुर लोक सभा चुनाव मे समय – समय पर भाजपा, झामुमो और कांग्रेस मुख्य रूप से अपना भाग्य आजमाता रहा है । इसके अलावे घाटशिला विधान सभा चुनाव मे पिछले बार झामुमो और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला रहा है ।

जमशेदपुर लोक सभा मे जहां भाजपा काबिज किया हुआ है वहीं घाटशिला विधान सभा का सीट झामुमो के हांथ मे है । घाटशिला के गोपालपुर मुख्य सड़क की तरह संसदीय और विधान सभा क्षेत्र मे अनेक समस्या वर्षों से समाधान के लिए बाट जोह रहा है । अत्यधिक आत्म विश्वास किसी के लिए भी निराश जनक परिणाम दे सकता है । क्योंकि, कुल मत दाता मे 70% मत दाता न तो किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यकर्ता होता है और न समर्थक। जिनके स्वविवेक खुद निर्णय लेने का क्षमता रखता है ।

हम तो कलम के सीपाई मात्र है, जो कोशिश करता है कि, सच्चाई को जन मानस के पटल मे रख दें । जो समझ जाता है वह अपने कमियों को दूर करने मे लग जाते है । ताकि, चुनाव मे मुह की खानी न पड़े ।

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