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जमशेदपुर में करमा पूजा की धूम, सात दिन पहले शुरु हुआ भाई-बहन के प्रेम का पर्व

 (जमशेदपुर, योगेश पाण्डे)- करमा का पर्व झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है | यह आदिवासी समुदाय के द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है । भादो महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन करमा का पर्व मनाया जाता है, बहन अपने भाई के सुख-समृद्धि और लंबे उम्र की कामना करती हैं । इसके अलावा झारखंड के लोगों की परंपरा रही है कि, धान की रोपाई हो जाने के बाद प्रकृति की पूजा का अच्छे फल की कामना की जाती है | करमा पर्व पर कर्म डाली की पूजा की जाती है , जो भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है। एकादशी से 7 दिन पहले ही करमा पूजा शुरू हो जाती है. इस दौरान युवतियां अपने गांव में नदी या तालाब जाया करती हैं. जहां पर बांस की टोकरी में मिट्टी डालकर उसमें धान, गेहूं, चना, मटर, मकई, जौ, बाज़रा,  उड़द आदि के बीज बोते हैं. इसके बाद 7 दिनों तक सुबह शाम टोकरी को बीच में रखकर सहेलियों के साथ हाथ पकड़ कर परिक्रमा करते हुए गीत गाती हैं और नाचती हैं । इससे जावा डाली जगाना कहा जाता है. पर्व के दौरान तरह-तरह के पकवान बनते हैं. पूजा के क्रम में कर्मा और धर्मा नाम के दो भाइयों की कहानी सुनाई जाती है। इस गाने को सुने बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

 

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