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रिम्स में सबसे बड़ी लापरवाही :

गर्भवती महिला के पेट में छोड़ दिया तौलिया,निजी अस्पताल में

सिटी स्कैन के दौरान पता चला कि पेट में है तौलिया….

25 दिनों तक दर्द और पीड़ा से कराहती रही महिला

रिम्स के सर्जरी विभाग ने लगातार एंटीबायोटिक देकर पस सुखाने की भरपुर की कोशिश

रांची : राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान यानी रिम्स, झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल। इस अस्पताल में गरीब-गुरबा मरीजों का इलाज होता है। वैसे सांभ्रात परिवार भी यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। पर रिम्स के प्रसूति (गाइनोकालोजी विभाग) की चिकित्सक मीना मेहता की लापरवाही से 28 वर्षीय महिला एक महीने से पेट की दर्द से कराहती रही। छटपटाती रही। पांच जनवरी को रिम्स में मेन रोड की रहनेवाली 28 वर्षीय रिम्स के प्रसूती विभाग में भरती हुई थी। गर्भवती महिला का बच्चा उसके पेट में फंस गया था। चिकित्सकों ने कहा कि महिला का लैप्रोटोमी आपरेशन करना जरूरी है। सर्जरी डॉ मीना मेहता ने की। इसके कुछ दिन बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गयी। पर महिला का घाव नहीं सुखा। उसके पेट के हिस्से में सर्जरी के लिए किया गया छिद्र लगातार बहता रहा। खून और पस से वह कराहती रही। इसके बाद पीड़िता सीमा फिर डॉ मीना मेहता के पास गयी और अपनी पीड़ा बतायी. इस पर डॉ मीना ने उसे सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया।

सर्जरी विभाग ने बगैर जाने-सुने लगातार घाव सूखने के लिए दिया एंटी बायोटेक

सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने घाव सूखने की दवाईयां देनी शुरू की. पर घाव सूखा ही नहीं। सीमा ने कई चक्कर सर्जरी विभाग के भी लगाये। पर हर समय वहां के चिकित्सक उसे हाई पावर दवाईयां देकर टहला देते थे। अंत में थक हार कर परिवार वालों ने समाधान होता नहीं देख सीमा को निजी अस्पताल में भरती कराने का फैसला लिया।

निजी अस्पताल में सिटी स्कैन के दौरान पता चला कि मरीज के पेट में है कोई चीज

निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने जब पेट का सिटी स्कैन किया। तो पता चला कि सीमा के पेट में कुछ चीज है। इसके बाद दुबारा उसके पेट की एक महीने के अंदर सर्जरी की गयी। सर्जरी के बाद जो चीजें सामने आयी, वह हैरान करनेवाली थीं। 5 जनवरी को सीमा का जिस डॉ मीना मेहता ने ऑपरेशन किया था। उसी दौरान सीमा के पेट में एक बड़ा तौलिया छोड़ दिया गया था. इसकी वजह से उसका घाव औऱ् मरहम नहीं भर रहा था। पता नहीं उस तौलिये में कितना इंफेक्शन होगा, जिसकी असहनीय पीड़ा सीमा ने 26 दिनों तक सहन किया। यह राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की भयानक लापरवाही है। सिर्फ गायनिक विभाग ही नहीं रिम्स के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने भी सीमा के इलाज में ध्यान नहीं दिया। उल्टे सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने सीमा को लगातार एंटीबायोटिक दवाईयां दी, ताकि घाव सूख जाये। पर सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने यह जानने की कोशिश नहीं की लगातार पस बहने का कारण क्या है.?

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