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विश्व एड्स दिवस पर खास…..

एचआईवी पाजिटिव से दूरी की नहीं; स्नेह और जागरुकता की है जरुरत।

सरायकेला : एक समय था जब एड्स को जानलेवा बीमारी समझा जाता था। जबकि अब ऐसा नहीं है पहले की तुलना में एड्स के मरीजों की मौत के मामले में कमी आई है। हालांकि जिले में एचआईवी पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरायकेला खरसावां जिले में वर्ष 2021 में एक व 2022 में एक एड्स पीड़ित मरीज की मौत भी हो चुकी है। सरायकेला प्रखंड में गिने चुने लोग ही एचआईवी पाजिटिव पाए गए हैं। 2021 व 2022 में सिर्फ पांच व चार मरीज ही एचआईवी पीड़ित पाए गए। जिसका इलाज चल रहा है। यह वैसे लोग थे जो मजदूरी करने के लिए दूसरे राज्य गए थे जहां वे एचआईवी से पीड़ित हो गए। हालांकि जिले की टीम एचआईवी से लोगों को जागरुक कर रही है। सरायकेला-खरसावां जिले की बात करें तो वर्ष 2020 में 239, 2021 में 250 लोग पाजिटिव थे। वर्ष 2022 में 260 लोग एचआईवी पाजिटिव हुए हैं।

प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को दुनिया भर में एड्स दिवस मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिनका एचआईवी के कारण निधन हो गया। सबसे पहले विश्व एड्स दिवस साल 1988 में मनाया गया था। प्रारंभ में यह दिवस सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था, लेकिन बाद में पता चला कि एआईवी संक्रमण किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है। 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और जागरूकता पर काम शुरू हुआ। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 2020 में पूरी दुनिया में 3.77 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित थे।

गम्हरिया प्रखड के आईसीटीसी में जांच में कब कितने हुए एचआईवी पाजिटिव
वर्ष- पुरुष- महिला- कुल.
2015- 02- 01- 03.
2016- 03- 02- 05.
2017- 00- 02- 02.
2018- 05- 04- 09.
2019- 03- 01- 04.
2020- 02- 02- 04.
2021- 02- 00- 02.
2022- 10- 02- 12.
कुल – 27- 14- 41.

—–
सदर अस्पताल के आईसीटीसी में जांच में कब कितने हुए एचआईवी पाजिटिव

वर्ष- पुरुष- महिला- कुल.
2015- 00- 01- 01.
2016- 03- 01- 04.
2017- 02- 01- 03.
2018- 02- 01- 03.
2019- 02- 01- 03.
2020- 01- 01- 02.
2021- 04- 01- 05.
2022- 02- 02- 04.
कुल -16- 09- 25.

“जिले में एचआईवी पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लोगों को जागरुक होने की जरुरत है। यह रोग कैसे फैलता है इसकी जानकारी प्रत्येक इंसान को होना जरुरी है तब ही इसकी रोकधाम होने के साथ पीड़ितों की संख्या कम हो पाएगी। एक समय था जब एड्स को जानलेवा बीमारी समझा जाता था जबकि अब ऐसा नहीं है पहले की तुलना में एड्स के मरीजों की मौत में कमी आई है।”
डा. वीणा सिंह

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