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जगन्नाथ श्री मंदिर के प्रांगण में शुरू हुआ पांच दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा सह

ज्ञानयज्ञ…

सरायकेला। जगन्नाथ श्री मंदिर सरायकेला के प्रांगण में पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हुई। पहले प्रवचन सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु इस कार्यक्रम में शामिल हुए। ओडिशा पुरी धाम से आए कथावाचक पंडित गौरहरि दाश महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्त्व को बताया। पंडित गौरहरि दाश ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है।उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। जगन्नाथ श्री मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।

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व्यासपीठाधीश्वर ने गुरुवार को भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्र्व चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। पंडित गौरहरि दाश के साथ उनके सहयोगी सुकांत दाश एवं  रामचन्द्र महान्ती भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रवचन और भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर झुमने लगे। भागवत कथा को श्री जगन्नाथ, बलभद्र, बहन सुभद्रा एवं बिष्णु भगवान के पुजारी ब्रह्मनंद महापात्र एवं धासी सतपथी द्वारा पुजापाठ के उपरांत सरायकेला नगर पंचायत के अध्यक्ष मिनाक्षी पट्टनायक एवं अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर कथावाचक मंडली को माल्यार्पण एवं स्वागत के साथ शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम अगले पांच दिन तक चलेगा।

जगन्नाथ श्री मंदिर सरायकेला में इस भागवत कथा प्रवचन कार्यक्रम के आयोजन में श्री जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, सचिव पार्थसारथी दाश, राजीव महापात्र, चिरंजीवी महापात्र, परशुराम कबि, अजय साहु, सुमित महापात्र, सुशांत महापात्र, बादल दुबे, रमानाथ आचार्य, पार्थसारथी आचार्य, तुषार पति, चन्द्रशेखर कर, प्रशांत महापात्र, काशीनाथ कर, दुखुराम साहु, राजा ज्योतिषी, पवन कवि, जयराज दास, गणेश सतपथी एवं अन्य सक्रिय सदस्यों उपस्थित रहे।

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