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झिमड़ी स्टेडियम में आदिवासी कुड़मी समाज का एक दिवसीय

विशाल जनसभा महाजुटान का हुआ आयोजन…

सरायकेला Sanjay । आदिवासी कुड़मी समाज के तत्वाधान एक दिवसीय विशाल जनसभा (महाजुटान) का आयोजन नीमडीह प्रखंड के झिमड़ी स्टेडियम (सोना डुंगरी) में जिला प्रभारी प्रभात कुमार महतो की अध्यक्षता में किया गया। इस जनसभा में झाड़खंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि क्षेत्रों से हजारों की संख्या में कुड़मी समुदाय के बुद्धिजीवी सह सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेल रोको आंदोलन के पुरोधा सह आदिवासी कुड़मी समाज के मुलखुंटी मुलमान्ता अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि कुड़मी समाज अपना अस्तित्व और अधिकार की लड़ाई में जन आंदोलन कर समाज को जागरूक कर रहा है।

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हमारे आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध कराना, दुसरा कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करना और तीसरा सारना धर्म कोड लागू कराना है। अब कुछ दिनों से तथाकथित आदिवासी लोग कुड़मियों का इतिहास बिना जाने, बिना पढ़े अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, जो सरासर प्रायोजित रुप से किसी न किसी राजनैतिक फायदा लेने में लगे हैं। जिससे हमारी आन्दोलन को दिशा से भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। कुड़मी समाज अब जाग चुकी है, कितने ही बाधा आये, हम अपना अधिकार लेकर ही रहेंगे। इसके लिए तीनों राज्यों का ऐतिहासिक रेल रोको आंदोलन में जो सफलताएं हासिल हुई उसकी समीक्षा एवं आगे की रणनीति पर रुपरेखा तैयार किया गया। महाजुटान में झारखंड और ओडिशा के आंदोलन को पूर्ण सफल बनाने के लिए आगे की कार्यक्रम की घोषणाएं मुलखुंटी मुलमान्ता द्वारा की गई। जिसमें आगामी 31 जनवरी को झारखंड और ओडिशा राज्य के सभी प्रखंड में एक साथ डेपुटेशन दिया जाएगा। 27 मार्च को झारखंड और ओडिशा राज्य के सभी जिलों में एक साथ डेपुटेशन दिया जाएगा। मानसून सत्र में झाड़खंड और ओडिशा राज्य में विधानसभा घेराव और तब तक अगर कुड़मी जनजाति को एसटी सूची में सूचीबद्ध न होने पर झारखंड और ओडिशा राज्य में 20 सितंबर से पुनः आर्थिक नाकेबंदी सहित अनिश्चितकालीन डहर छेंका/ रेल टेका (रोको) आन्दोलन जारी रहेगा।

 

इसके लिए गांवों, मुहल्ले, कस्बे एवं शहरों में आंधी की तरह प्रचार प्रसार चल रहा है। अति विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड राज्य बनने के 3 वर्ष बाद 23 नवंबर 2004 को अर्जुन मुंडा सरकार ने कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का अनुशंसा किया था। वर्तमान में अर्जुन मुंडा स्वयं केंद्र सरकार में आदिवासी मंत्रालय के मंत्री हैं। इन्होंने पिछले दिनों 12 जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया। लेकिन 2004 में स्वयं द्वारा अनुशंसित किया गया कुड़मी जनजाति को छोड़ दिया गया। इसलिए आज हमारी आन्दोलन निरंतर जारी है। विशेष अतिथि केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी जनजाति का अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने का मांग नया नहीं है, यह मांग बहुत पहले से चली आ रही है। जिससे दबाने का काम केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा किया जा रहा है। उन्हें मालूम होना चाहिए आज लोकसभा एवं राज्यसभा तथा हमारे राज्य के विधानसभा में हमारे मांगों को लेकर प्रखर रुप से आवाज उठ रही है।

विशेष अतिथि केंद्रीय महासचिव अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर ने कहा कि 1950 से पहले झाड़खंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के टोटेमिक कुड़मी जनजाति देश की आजादी से पहले प्रिमिटिव ट्राइब्स (आदिम जनजाति) में सूचीबद्ध था। किंतु जब अनुसूचित जनजाति का सूची तैयार हुआ तब सिर्फ कुड़मी को छोड़कर सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया। तब से अब तक 72 वषों से लगातार कुड़मी जनजाति एसटी सूची में सूचीबद्ध करने हेतु आंदोलनरत हैं। इसे पुनः स्थापित करना हमारे समाज का मौलिक कर्तव्य हैं। जनसभा में केंद्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर महतो, महासचिव सुनील कुमार गुलिआर, प्रदेश अध्यक्ष पद्मलोचन महतो, केंद्रीय सह सचिव जयराम महतो, ओडिशा राज्य प्रभारी सशधर काड़ुआर, अशोक पुनअरिआर, गुणधाम मुतरुआर, विश्वरंजन महतो उर्फ कार्तिक महतो, निवारण महतो, उपेन चन्द्र महतो, ज्ञान चन्द्र महतो द्वारा विचार रखा गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सांस्कृतिक झुमर कलाकार भोलानाथ महतो एवं गोविंद लाल महतो, विजय महतो, डॉ सुजीत महतो, चिनीवास महतो, पद्मलोचन, सिमन्त कुमार महतो का अहम योगदान रहा।

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