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डायन के नाम पर हत्या के मामले पर सुनवाई करते हुए

एडीजे टू की अदालत में आरोपियों को सुनाइए सश्रम

आजीवन कारावास की सजा…..

सरायकेला। डायन के नाम पर हत्या कर साक्ष्य छुपाने के एक मामले पर सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय कनकन पट्टादार की अदालत ने मामले के आरोपी चाना मुर्मू, चंपा मुर्मू, राजली देवी एवं लभा टूडू उर्फ भालू ओझा को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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भादवि की धारा 302 के तहत उक्त आरोपियों को मामले का दोषी पाते हुए प्रत्येक को सश्रम आजीवन कारावास के साथ-साथ प्रत्येक को ₹10000 अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड नहीं अदा कर पाने की स्थिति में प्रत्येक को 6 महीने साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। इसी प्रकार भादवि की धारा 201 के तहत दोषी पाते हुए प्रत्येक को 7 साल सश्रम कारावास की सजा और ₹3000 जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं अदा कर पाने की स्थिति में प्रत्येक को 3 महीने साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

डायन प्रतिषेध अधिनियम अंडर सेक्शन 3 के तहत दोषी पाते हुए प्रत्येक को 3 महीने सश्रम कारावास और ₹1000 जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं अदा कर पाने की स्थिति में 15 दिन की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। डायन प्रतिषेध अधिनियम अंडर सेक्शन 4 के तहत दोषी पाते हुए 6 महीने सश्रम कारावास और ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं अदा कर पाने की स्थिति में 1 महीने साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

राजनगर थाना कांड संख्या 62/2018 के तहत हनुमतबेड़ा गांव निवासी चाना मुर्मू की शिकायत पर मामला दर्ज कराया गया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि दिनांक 23 अगस्त 2018 को वह अपनी मां माल्हो देवी के साथ घर पर सोया हुआ था। रात के लगभग 11:00 बजे उक्त सभी के साथ कुल 5 लोग दरवाजा तोड़कर घर में घुस आए। और माल्हो देवी को पकड़ लिए। और सभी ने मिलकर उसकी हत्या कर दी थी।

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