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अभाविप ने जिला कार्यालय के समक्ष किया छात्र गर्जना और आक्रोश मार्च का कार्यक्रम…

सरायकेला: संजय मिश्रा । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड द्वारा वर्तमान झारखंड सरकार के विफलता को लेकर बीते पंद्रह सितंबर को प्रांत स्तरीय छात्र गर्जना का आयोजन रांची में किया था। साथ ही इस कार्यक्रम को झारखंड राज्य के सभी जिलों में छात्र गर्जना के साथ बदहाल झारखंड का काला दस्तावेज समाज के समक्ष रखने का कार्यक्रम का आह्वान किया था। इसी के तहत सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सरायकेला-खरसावां जिला द्वारा जिला कार्यालय के समक्ष छात्र गर्जना कार्यक्रम एवं “आक्रोश मार्च “का आयोजन किया गया।

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कार्यक्रम में प्रवासी कार्यकर्ता के रूप में प्रांत अभाविप एसएफडी सह संयोजक सनातन गोराई उपस्थित रहे।

उन्होंने वर्तमान झारखंड के परिदृश्य पर अपना विचार रखते हुए कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में विद्यार्थियों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं को सुरक्षा एवं समान अधिकार के वादे पर राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को अवसर प्रदान किया। सरकार को चुनते समय 19 वर्ष का युवा झारखंड आज 24 वर्ष पूरे करने के कगार पर खड़ा है। लेकिन अपना वयस्क राज्य झारखंड आज भी गरीबी और कमजोर प्रशासन की मार झेल रहा है। देश के 40 प्रतिशत खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में आज भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं लगभग 20 प्रतिशत शिशु और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। तिलका मांझी और सिदो कान्हू के रक्त से सींचा गया राज्य झारखंड आज भी अपनी तंग हाली पर रो रहा है। आज भी यहां के मूल निवासी अनाज के लिए तरसते हुए जान दे रहे हैं। राज्य सरकार के मंत्री एवं कई अधिकारियों ने झारखंड को लूट खंड बना कर रख दिया है। सरकार के मुखिया स्वयं सेना की जमीन घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं।

मुख्यमंत्री और मंत्रियों एवं सत्ताधारी राजनीतिक दलों के अधिकारियों ने भी राज्य को लूटने में कोई अवसर नहीं छोड़ा।

इनके द्वारा खुलेआम जल, जंगल एवं जमीन को मिटाने का प्रयास किया गया। फूलो-झानो के रक्त से सिंचित संथाल की महिलाएं आज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बिलखती महिलाएं-तड़पता झारखंड, सरकार के पूरे कार्यकाल पर एक प्रश्न चिन्ह लगाता है? राज्य में लवजिहाद और लैंड जिहाद झारखंड के आदिवासी समाज और उनकी बेटियों के अस्तित्व को समाप्त करने की तैयारी में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आदिवासी समाज की जनसंख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई, इस बात का साक्ष्य है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण अपने चरम पर है। सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह पूर्व अभाविप कार्यकर्ता मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था किसी भी राज्य की रीढ़ की हड्डी होती है। उच्च शिक्षा में सामान्य विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज आदि शामिल है, इसका सशक्त होना राज्य के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण होती है। विगत 5 वर्षों में शिक्षा वेंटिलेटर पर आ चुकी है। यहां ना तो विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति है ना तो कॉलेज में नियमित प्रधानाचार्य।

शिक्षक की कमी का असर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर हो रही है।

जिसके कारण झारखंड राज्य के विद्यार्थी बाकी राज्य की तुलना में रोजगार और जीवन मूल्यों के मापदंड में पिछड़ते जा रहे हैं। आखिर इस सब का जवाबदेह कौन है?जिला संयोजक समीर महतो ने कहा कि साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा हो अथवा झारखंड की बेटियों को प्राथमिक विद्यालय से पीएचडी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा, राज्य की महिलाओं को चूल्हा भत्ता देने का वादा हो अथवा राज्य के जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने का वादा, सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। छात्र संघ सह अभाविप नेता प्रकाश महतो ने कहा कि राज्य के युवा, महिला, मजदूर, किसान और आम जनता ने यह महसूस किया है कि लोक लुभावन वादों के साथ सत्ता में आई झारखंड सरकार एक बार पुनः मुफ्त की योजनाएं लाकर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। अपने पूरे कार्यकाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस एवं राजद गठबंधन की यह सरकार युवा, किसान, मजदूर, आदिवासी एवं महिला विरोधी तो रही ही हैं, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं महिला सुरक्षा जैसे प्रमुख विषयों पर पूरी तरह से विफल रही है। पिछले 5 वर्षों में शिक्षा, सुरक्षा, रोजगार, समाज कल्याण और अन्य सरकारी व्यवस्था की तरह ही राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं और स्थिति में कोई बड़ी परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। राज्य की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत ही दयनीय और चिंताजनक है।

राष्ट्र स्तर पर आज भी समाज के गरीब और शोषित वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाएं की पहुंच के मामले में झारखंड काफी पीछे हैं।

राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था सड़क पर छितराये हुए किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति सा है, जो चीख-चीखकर बेरहमी रोंदनी वाली सरकार से अपनी जान बचाने हेतु गुहार लगा रही है। लेकिन स्वार्थ के नशे में चूर हाईवे पर बेहतरीन भागने वाली है हेमंत सरकार और उसके भ्रष्ट तंत्र को तनिक भी फर्क नहीं पड़ता कि कौन गरीब, आदिवासी और बेसहारा उनकी भ्रष्टता के रफ्तार में कुचलते जा रहे हैं, किन-किन का अधिकार मारा जा रहा है, किन-किन का विश्वास इनके ऊपर से उठता जा रहा है और कौन-कौन इन्हें कोस रहे हैं दो पंक्तियों में राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की अगर बात करें तो इतना ही कह सकते हैं कि “ना डॉक्टर ना दवाई, हेमंत सरकार बस हवा हवाई”। बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के रास्ते बांग्लादेश घुसपैठी लगभग एक दशक से होता आ रहा है। अब यह समस्या जटिल रूप ले चुकी है। इसमें झारखंड में आदिवासी और आदिम जनजातीय का अस्तित्व खतरे में है। झारखंड सरकार इनके सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की पूरी तरह से भी विफल रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ महज एक संयोग है या एक गहरी साजिश। बिना राज्य सरकार के संरक्षण के ऐसा कैसे संभव है? झारखंड के संथाल परगना के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, राजमहल, गोड्डा और दुमका में बड़ी संख्या में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठ का अलग-अलग माध्यम से आने की सूचना मिलती रहती है।

बदलाव आंकड़े की अगर हम बात करें…

तो साल 2001 में जनगणना में दुमका की जनसंख्या 11 लाख 7 हजार के करीब थी। वर्ष 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर लगभग 14 लाख हो गई। आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिले में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बस गई है। यहां आंकड़े एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हैं।

क्योंकि बिना बांग्लादेशी घुसपैठ के प्रवेश में आबादी कितनी तेजी से बढ़ाना नामुमकिन है।

अतः झारखंड राज्य में व्याप्त अराजकता एवं विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, रोजगार, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा के विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जारी “काला दस्तावेज” झारखंड सरकार के निरंकुशता का परिणाम है। इस अवसर पर अजय ज्योतिषी, निशांत साहू, रौशन महतो, पूजा सिंह महापात्र, रंजन आचार्य, विकाश स्वाई, कृष्णा राणा, विकाश महतो, प्रधुन महतो, मनी महली, अभिराम महतो आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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