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सरहूल मानव सभ्यता को वन पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता है: कालीचरण मुंडा…

सरायकेला:संजय मिश्रा

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सरायकेला। खूंटी संसदीय सीट के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा सोमवार को बुंडू प्रखंड स्थित नावाडीह गांव में सरहूल महोत्सव में शामिल हुये। प्रत्याशी कालीचरण मुंडा का ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति रिवाज से स्वागत किया। प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। पश्चात नावाडीह में सरहूल महोत्सव पर कालीचरण मुंडा ढोल नगाड़े पर जमकर थिरके।

सरहूल महोत्सव को संबोधित करते हुए कालीचरण मुंडा ने कहा कि सरहूल पर्व आदिवासियों के प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। जंगलों को बचाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। सरहूल मानव सभ्यता को वन पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता है एवं मानव जीवन दर्शन के मौलिकता को दर्शाता है। सरहुल महोत्सव हमारी पौराणिक संस्कृति को दर्शाती है। जरूरत है हमे इसे संजोने की।

इस पर्व के माध्यम से हमें प्रकृति की महत्व को समझते है। सरहुल आदिवासी समाज का पारंपरिक पर्व है। यह पर्व आदिवासी समाज द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी मनाते आ रहे है। आज के इस आधुनिक युग में इस पर्व को बचाए रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। इसमें युवाओं की भूमिका अहम रहेगी।

उन्होने आगे कहा की हमें गर्व है कि हम प्राकृतिक उपासक हैं। हमारा धर्म अति प्राचीन एवं विज्ञान पर आधारित है। हमारी धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मान्यताएं एवं परंपराएं प्रकृति के नियमानुसार बनें हैं। सरहूल पूजा मानव को प्राकृतिक के प्रति प्रेम एवं संरक्षण करवाने की ओर प्रेरित करती है।

इस दौरान मुख्य पर से मुखिया संदीप उरांव, पंसस गुरुवा मुंडा, बिरसा मुंडा, जहरू उरांव, नवकृष्ण मुंडा, सुधीर मुंडा, चामु मुंडा, कुलपति मुंडा आदि महागठबंधन के कार्यकर्ता और सैकड़ो ग्रामीण शामिल रहे।

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