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यह है सरायकेला नगरपालिका का सच, जहां अंतिम यात्रा की सुविधा भी मयस्सर नहीं: मनोज कुमार चौधरी…

सरायकेला -संजय मिश्रा । नगर पंचायत सरायकेला के पूर्व उपाध्यक्ष सह भाजपा नेता मनोज कुमार चौधरी ने अखडाशाल श्मशान घाट की नारकीय माहौल पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सरायकेला नगर पंचायत वासियों का दुर्भाग्य ही कहे कि जिला मुख्यालय होने के बावजूद नगरवासी हलकान हैं। यहां के शमशान घाट का सच तो यह है कि मृतक के परिजन सबसे पहले शवयात्रा के दौरान खतरनाक नुकीले पत्थर के रोड पर राम राम करते हुए अखडाशाल श्मशान घाट जाने को विवश है। और उसके बाद वहां नगर पंचायत और एजेंसी MSW द्वारा सालाना करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद सफाई का ये आलम अपने आप में नगर पंचायत की कोई व्यवस्था की पोल खोल रहा है।

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उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से अंतिम संस्कार के लिए एक अदद शवदाह गृह के बिना मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए खुले आसमान के नीचे पत्थर इकट्ठा कर बड़ी मुश्किल से चिता बनाना पड़ता था। परंतु सरायकेला की संस्था श्री कालूराम सेवा ट्रस्ट द्वारा सरायकेला स्थित दोनों श्मशान घाटों में शवदाह गृह का निर्माण करवाया गया। उसके बाद दोनों शमशान घाटों का पहुंच पथ बड़ा ही दुर्गम था। बरसात के दिनों में अर्थी को किधर से शमशान घाट ले जाएं बहुत बड़ा चैलेंज था।

रास्ता इतना खराब था कि पूर्व में श्मशान घाट जाने वाले सभी इससे वाकिफ है। अभी वर्तमान जिसमें से एक पहुंच पथ (बडपुल) को काफी अथक प्रयास से सरायकेला से रांची ग्रामीण विकास विभाग तक एड़ी चोटी कर बनवाने में हमें कामयाबी मिली जो कि मेरे चुनावी मेनिफेस्टो का वादा था मैंने पूरा करवाया।

वहीं दूसरे पहुंच पथ अखड़ाशाल श्मशान घाट का हमारे कार्यकाल में हमारे नगर पंचायत की जनप्रतिनिधियों की टीम द्वारा प्राक्कलन बनवाकर निविदा निकाली गई थी। परंतु वर्तमान सरकार के रहनुमाओं की कारगुजारियों से रद्द करवाया गया। जिसके कारण आज तक अखड़ाशाल श्मशान घाट के पहुंच पथ निर्माण का कार्य लंबित रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत द्वारा नदी किनारे गंदगी का अंबार लगाना NGT के नियमों का दुरुपयोग है। उन्होंने आग्रह करते हुए अपील किया है कि नगर पंचायत के प्रशासक कृपया जन सुविधाओं-जन आकांक्षाओ के अनुरूप कार्य करें। अन्यथा नगर वासियों के साथ मिलकर आंदोलन की रूप अख्तियार करना पड़ेगा।

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