…..तो अपना सरायकेला भी बन सकेगा दिव्य काशी भव्य काशी।
सरायकेला। बताया जाता है कि एकमात्र अतिक्रमण मुक्त होने से भोलेनाथ भगवान शंकर की नगरी काशी की भव्यता पूरे विश्व पटल पर सामने आ गई। ठीक वैसे ही अतिक्रमण मुक्त सरायकेला के भव्यता की कल्पना की जाने लगी है। वर्तमान दिनों में अतिक्रमण के चंगुल में बुरी तरह से जकड़े हुए सरायकेला शहर की स्थिति संकुचित हो चली बताई जा रही है। जहां बड़े क्षेत्र में एक ओर मुख्य सड़क मार्ग और सड़क मार्ग के किनारे सरकारी जमीनों का अतिक्रमण कर गुमटिया और दुकान खोल दिए गए हैं। और नित नए खोले जा रहे हैं। वही अपनी जमीन पर बने दुकान भी सड़क किनारे नालियों तक अतिक्रमण कर पहुंच गए हैं। जिसका परिणाम भी प्रतिदिन बिना हैवी ट्रैफिक के सड़क जाम की स्थिति, अनियमित पार्किंग और टेंशन के रूप में देखी जा रही है। जहां मुख्य बाजार क्षेत्र में महज 100 मीटर की दूरी तय करने के लिए वाहन चालकों को आधे घंटे का समय सड़क पर गुजारना पड़ रहा है।
यहां है अतिक्रमण का जोर : –
सरायकेला-कांड्रा मुख्य मार्ग पर अति महत्वपूर्ण सदर अस्पताल के समक्ष सड़क के किनारे इन दिनों सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर दुकानों की बस्तियां बसाने का होड़ लगा हुआ है। जिसमें बताया जा रहा है कि कुछ दबंगों के संरक्षण में सरकारी जमीन पर स्थाई निर्माण कर दुकानों की गुमटियां बसाई जा चुकी है। जिससे एक ओर सदर अस्पताल इलाज के लिए आने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इससे पूर्व कई जानलेवा दुर्दांत सड़क दुर्घटना भी अतिक्रमण के कारण घट चुकी है। यही समान हाल एसडीओ कोर्ट मोड से लेकर गैरेज चौक और बिरसा चौक तक का तथा मुख्य बाजार क्षेत्र में एसडीओ कोर्ट मोड़ से लेकर पुराने बस स्टैंड चौक तक का बना हुआ है। जहां विशेष रुप से बैंक ऑफ इंडिया शाखा एवं एसबीआई की शाखा के समक्ष से लेकर कालूराम चौक और पुराने बस स्टैंड चौक तक प्रतिदिन बेवजह बिना ट्रैफिक के सड़क जाम की स्थिति बनती रही है। गैरेज चौक पर भी समान स्थिति आए दिन देखा जा सकता है। मजे की बात है कि ऐसे अवैध रूप से अतिक्रमित दुकानों में बिजली विभाग की ओर से बिजली की विधिवत कनेक्शन भी दिए गए हैं। वही ऐसे दुकानों में चोरी जैसी घटनाओं के मामले भी सरायकेला थाने में दर्ज होते रहे हैं।
सिमट कर लगभग 8 फीट की रह गई है बाजार क्षेत्र की सड़क :-
बताया जाता है कि रजवाड़े के जमाने में एक समय 20 फीट की चौड़ी सड़क पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ के 16 पहिया के रथ बिना अवरोध के तेज गति से चला करते थे। जो सिमट चुकी सड़क के कारण अब चार पहिया के रथ ही रथ यात्रा में संचालित होते हैं। आलम यह है कि मानक के अनुसार भी सड़कें नहीं रह गई है। और मुख्य बाजार क्षेत्र का सड़क मार्ग गलियों में तब्दील होता हुआ देखा जा रहा है। इतना ही नहीं बाइक चालकों को बाजार क्षेत्र में पार्किंग के लिए और बड़े वाहनों को बाजार क्षेत्र से गुजरने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।