कोरोना के तीसरी लहर से बेफिक्र है जिलेवासी,
लापरवाह जनता पर जन जागरूकता है टांय टांय फिश्श…..
(अब 1 दिन में 63 कोरोना मरीज आए है। यानी कोरोना अपने पूरे रफ्तार में है)
सरायकेला। कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक के बीच कोरोना की रफ्तार अब सुपर फास्ट हो चली है। और आलम यह है कि हर दिन गुजरने के साथ कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी या तिगुनी हो रही हैं। तुलनात्मक रूप में सरायकेला खरसावां जिले में पड़ोसी जिलों जमशेदपुर व चाईबासा के मुकाबले स्थिति थोड़ी अच्छी है। जहां जमशेदपुर में रोज 700 के करीब मामले आ रहे हैं। वही सरायकेला जिले में 70 के करीब मरीज सामने आए हैं। लेकिन हर दिन गुजरने के साथ इनके आंकड़ों पर गौर करें तो जहां 2 दिन पूर्व 1 दिन में आने वाले मरीजों की संख्या 14 थी। वहीं उसके अगले दिन मरीजों की 1 दिन की संख्या 23 हो गई और अब 1 दिन में 63 कोरोना मरीज आए है। यानी कोरोना अपने पूरे रफ्तार में है।
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हाट बाजारों में जमकर उड़ रही कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां
पूरी स्थिति के बीच राज्य सरकार ने भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करने हेतु दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं और आम लोगों को जागरूक करने के साथ प्रशासन को भी कोरोना गाइडलाइन की पाबंदियां लागू करने हेतु निर्देश दिया है। लेकिन यह बड़ी दुखद पहलू है कि कोरोना की लगातार विकराल होती स्थिति के बीच जहां आम जनता बेफिक्र और लापरवाह नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को लगे सरायकेला की साप्ताहिक हाट की स्थिति देख तो ऐसा ही लग रहा है। कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामले और तीसरे लहर को लेकर विशेषज्ञों द्वारा जताई गई चेतावनी के बीच आज सरायकेला हाट में अन्य दिनों की भांति ही जमकर भीड़ उमड़ी। भीड़ इतनी थी की मानो तिल रखने की जगह ना हो। लोगों में लापरवाही इतनी थी कि ना अधिकतर लोगों ने मास्क पहना था ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था। सभी कोरोना से बेफिक्र और लापरवाह इतने थे कि वे सिर्फ़ खरीदारी करने में मगन नजर आए। जिला मुख्यालय में उमड़ी सैकड़ों की भीड़ में कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने हेतु प्रशासन का कोई नहीं था। बस मुख्य सड़क के किनारे दो चार डंटाधारी सिपाही नजर आए। वह भी सड़क जाम ना हो इस पर ध्यान देते नजर आए।
नहीं चेत रही जनता :-
इस पूरी स्थिति के बीच बड़ा सवाल जहां प्रशासन के सामने हैं वहीं आम जनता के सामने भी है। कोरोना के दो लहरों के बीच लगभग हर परिवार ने अपना कुछ न कुछ खोया है या फिर कोरोना का प्रभाव उनके घर में जरूर दस्तक दी है। बावजूद इसके इस तीसरी लहर में इतनी बेफिक्री और लापरवाही समझ से परे है। अगर जनता का यही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना के विकराल रूप के बीच स्थिति विस्फोटक हो सकती है और फिर हमें पछताने के सिवा और कुछ ना नहीं बचेगा।
कहीं पर्व की मस्ती हमें भारी न पड़ जाए
दरअसल में झारखंड का सबसे बड़ा पर्व मकर पर्व एक हफ्ते बाद आने वाला है। सरायकेला समेत पूरे झारखंड के लोग मकर पर्व को काफी धूमधाम से मनाते हैं। इसी को लेकर अभी बाजारों में काफी भीड़ उमड़ी है और लोग खरीदारी में मशगूल है। यह सही है आने वाले पर्व को उत्साह से मनाना चाहिए। लेकिन क्या यह सही है कि पर्व के उत्साह में हम इतना खो जाए कि जिंदगी ही असुरक्षित हो जाए। इस बारे में सभी को जरूर संजीदगी से सोचना चाहिए। अगर जिंदगी रहेगी तो आगे हर एक पर्व त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाएगा। क्या 1 साल हम एहतियात बरतकर, थोड़ी मस्ती को कंट्रोल कर अपनी जिंदगी को सुरक्षित रखने हेतु थोड़ा त्याग नहीं कर सकते। कोरोना को तांडव मचाने को लेकर बस हमारे सहारे की जरूरत है और हम इसका अवसर उसे सहजता से प्रदान कर रहे हैं। इस दिशा में हम सभी को जरूर सोचना चाहिए।
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