कहा गया है कि स्वस्थ शरीर में आत्मा का और शुद्ध शरीर में साक्षात परमात्मा का निवास होता है। ऐसे में सांसारिक जीवन का भोग करते हुए सिर्फ अपने अधूरे कामनाओं के लिए उस शरीर को नष्ट कर देना महापाप कहलाता है। कुछ इन्हीं विचारधाराओं के साथ समाज एवं परिवार के सबसे बड़े मार्मिक परिस्थिति को लेकर वनांचल 24 टीवी लाइव विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के साप्ताहिक अभियान में जन जागरूकता को लेकर अपने कर्तव्य और अपनी सहभागिता के लिए जनता के बीच है।
जिंदगी अनमोल है तो क्यों ना इसे कोहिनूर का रूप दिया जाए…
कहा गया है कि स्वस्थ शरीर में आत्मा का और शुद्ध शरीर में साक्षात परमात्मा का निवास होता है। ऐसे में सांसारिक जीवन का भोग करते हुए सिर्फ अपने अधूरे कामनाओं के लिए उस शरीर को नष्ट कर देना महापाप कहलाता है। कुछ इन्हीं विचारधाराओं के साथ समाज एवं परिवार के सबसे बड़े मार्मिक परिस्थिति को लेकर वनांचल 24 टीवी लाइव विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के साप्ताहिक अभियान में जन जागरूकता को लेकर अपने कर्तव्य और अपनी सहभागिता के लिए जनता के बीच है।
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इन दिनों विशेषकर कोरोना महामारी के संकट काल में विभिन्न कारणों से आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों में भारी इजाफा हुआ है। नित नए दिन जिले में भी आत्महत्याओं की घटनाएं घटती रही हैं। जिसमें कोरोना महामारी संकट काल के दौरान रोजगार का छीनना, रोजी रोटी की समस्याएं, बीमारियां और तनाव भरा जिंदगी प्रमुख कारण के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि एक तरह से देखा जाए तो सरायकेला खरसावां जिले में आत्महत्या जैसी घटनाओं की प्रवृत्ति कोरोना संकटकाल में प्रमुखता से सामने आई है। पूर्व के समय में जिले के इतिहास में इक्के दुक्के ही आत्महत्या जैसी घटनाएं घटती रही हैं। जिसमें फ्रस्ट्रेशन और तनाव जैसे कारण सामने आते रहे हैं।जानकार बताते हैं कि आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम देने के लिए अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक शक्ति की आवश्यकता होती है। जिसके लिए लगभग 70% तक आत्महत्याओं की घटना में कहीं ना कहीं नशे का साथ होता है।
तनाव और समस्याओं से घिरे जीवन शैली में आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति तभी जागृत होती है जब सोचने समझने के लिए स्नायु तंत्र शिथिल होकर काम करना बंद कर देते हैं। और मनुष्य अपनी समस्याओं को हल ढूंढने की अपेक्षा जीवन को समाप्त करना बेहतर समझता है।
उक्त सभी परिपेक्ष में वनांचल 24 टीवी लाइव की अपील समाज से हमेशा से रही है कि नशा पान और नशे की लत से सदैव खुद को दूर रखें। साथ ही नकारात्मक सोच वाले सामाजिक बैठक से भी अलग रहें। मनोरम प्रकृति और प्राकृतिक संपदा से संपन्न इस धरातल पर मिला मानव जीवन बहुत ही अनमोल और खूबसूरत है। प्रकृति में समस्या से पहले उस समस्या के हल निर्धारित किए गए हैं। इसलिए व्यापक सोच और समझ हो तो हर समस्या का समाधान मुमकिन है। आधुनिकता के अंधाधुन दौड़ से खुद को अलग रखकर परंपरागत लाइफस्टाइल में विकासवादी सिद्धांत के साथ जीना बेहतर है। आधुनिकता की चकाचौंध दुनिया अपसंस्कृति वाली झूठ से लबरेज है। जीवन में प्रयास तो यह होना चाहिए कि
“आई एम द बेस्ट , बट नन आर लिस्ट”…
(संजय मिश्रा) सरायकेला-खरसावां
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