सिल्क उधोग को तरक्की के रास्ते से आगे बढ़ाना ही उद्देश्य-डा. के. सत्यनारायण
सरायकेला। भारत सरकार के केन्द्रीय रेशम अनुशंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची के निर्देशक डा. के. सत्यनारायण ने सेंट्रल सिल्क बोर्ड खरसावां और अग्र परियोजना केन्द्र खरसावां का निरीक्षण सिल्क के विकास के संभावना को तलाशने की काम किया। खरसावां अग्र परियोजना केन्द्र खरसावां में बड़े पैमानें पर कोकुन को सुखाने के लिए एक हाॅर्ट इयर ड्रायर का स्थापना किया जाएगा। ताकि हाॅर्ट इयर ड्रायर में सालभर कोकुन को रखकर सीएफसी को दिया जा सके।
इस दौरान निर्देशक ने खरसावां अग्र परियोजना केन्द्र हाॅर्ट इयर ड्रायर के स्थापना के लिए जमीन देखी। इसके अलावे विजागार भवन, प्लांटेशन, सामान्य सुलभ केन्द्र आदि का निरीक्षण कर कई दिशा निदेश दिया। जबकि सेंट्रल सिल्क बोर्ड खरसावां में विजागार भवन, प्लांटेशन सहित पूरे कैंपस का निरीक्षण किया। मौके पर श्री सत्यनारायण ने कहा कि तसर सिल्क के बिकास को लेकर भारत सरकार कई योजना चला रही है। जिसमें सिल्क समग्र योजना-2 भी शामिल है।
सिल्क समग्र योजना को केन्द्रीय रेशम बोर्ड एवं राज्य सरकार के साथ मिलकर इस उधोग को तरक्की के रास्ते से आगे बढ़ाना है। जिससे कृषकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। इस क्षेत्र में कोकुन के उत्पादन में काफी संभावना है। उन्होने कहा कि सिल्क समग्र योजना रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड की योजना है। इस योजना के सर्वप्रमुख उद्देश्य हैं दृ ब्रीडरों के भंडार का संधारण, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के माध्यम से ब्रीड में सुधार, मशीन से चलने वाली पद्धतियों का विकास, रेशम के उत्पादन से सम्बंधित सूचना सम्पर्कों एवं ज्ञान प्रणाली पोर्टल के माध्यम से तकनीक का प्रयोग, हितधारकों और बीज की गुणवत्ता के अनुश्रवन आदि के लिए मोबाइल ऐप का निर्माण है।
निदेशक ने कहा कि सिल्क समग्र योजना का लक्ष्य है समाज के दलित, पिछड़े, निर्धन (महिला समेत) जनजातीय परिवारों को रेशम की खेती से सम्बंधित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाना। भारत में रेशम उत्पादन एक कुटीर उद्योग है जिसमें गाँवों और कस्बों में लोगों को बहुत मात्रा में आजीविका मिलती है और इसमें आय सृजन की व्यापक क्षमता है। रेशम उद्योग से लोगों को रोजगार देना, घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करना है, ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।