सरायकेला – खरसावां (संजय मिश्रा ) आस्था पर भी लगातार दो वर्षों से कोरोना का कहर जारी है। इसी के तहत सरायकेला रथ यात्रा की एकमात्र और विश्व प्रसिद्ध वेश परंपरा लगातार दूसरे वर्ष स्थगित रखी जा रही है।
इसी के साथ रथयात्रा के तीसरे दिवस पर भगवान महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा एवं बड़े भाई अग्रज बलभद्र के साथ मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर में विराजमान रहे। जहां कोविड-19 गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करते हुए भक्तों ने महाप्रभु के दर्शन किए। और पूजा अर्चना करते हुए कोरोना से देश एवं विश्व की मुक्ति तथा अपने लिए सुख शांति और समृद्धि की मंगल कामना किए।
यादों के झरोखों में सरायकेला रथ यात्रा की एकमात्र विश्व प्रसिद्ध वेश परंपरा :-
जगन्नाथ धाम पूरी के तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाली परंपरागत रथ यात्रा की एक विशेष खासियत वेश परंपरा रही है। जिस पर कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरी बार भी ग्रहण लगा हुआ बताया जा रहा है। वेश परंपरा के कलाकार गुरु सुशांत महापात्र, सुमित महापात्र एवं उज्जवल सिंह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष भी वेश परंपरा को स्थगित रखा जा रहा है। बताते चलें कि सरायकेला रथ यात्रा में अलौकिकता के साथ स्वर्गीय डोमन जेना द्वारा वेश परंपरा का शुभारंभ किया गया था। जिसके तहत मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर में रथ यात्रा प्रवास के दौरान विराजमान महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं बड़े भाई बलभद्र का दशावतार के रूप में वेश और श्रृंगार किया जाता है। स्वर्गीय डोमन जेना के निधन के बाद से गुरु सुशांत महापात्र, सुमित महापात्र तथा उज्जवल सिंह द्वारा वेश परंपरा को जारी रखते हुए मच्छ-कच्छ, कल्कि अवतार, दुर्गा अवतार, राम परशुराम, नरसिंह अवतार एवं राम बलराम के रूप में वेश एवं श्रृंगार किया जा रहा है। परंतु कोरोना संकट को देखते हुए इस वेश परंपरा को इस वर्ष भी स्थगित रखा गया है।