छात्र संगठन एआईडीएसओ का मना 70 वां स्थापना दिवस, शिक्षा, संस्कृति और मानवता को बचाने का लिया गया संकल्प…
चांडिल ( परमेश्वर साव ) :
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टुडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन सरायकेला- खरसावां जिला कमिटी की ओर से एआईडीएसओ का 70वां स्थापना दिवस जिले के सरायकेला, चांडिल और आदित्यपुर में मर्यादापूर्वक मनाया गया। सरायकेला के कार्यक्रम में उपस्थित एआईडीएसओ सरायकेला-खरसावां जिला प्रभारी सोनी सेनगुप्ता ने कहा कि एआईडीएसओ अपने स्थापना काल से ही जनवादी धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक शिक्षा की मांग को लेकर छात्रों को संगठित करने का काम कर रहा है।
आज झारखंड ही नहीं देश के सभी राज्यों में संगठन छात्रों की समस्याओं को लेकर आंदोलन संगठित कर रहा है। छात्र और शिक्षाप्रेमियों की यह लड़ाई सिर्फ शिक्षा बचाने की ही लड़ाई नहीं है, बल्कि सभ्यता और इंसानियत बचाने की भी लड़ाई है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की बदहाली अपने चरम पर है। सरकार द्वारा शिक्षा बजट में कटौती एवं आवश्यक संसाधनों की कमी की वजह से आज सार्वजनिक शिक्षा हांफ रही है।
सरकार द्वारा लायी गयी नयी शिक्षा नीति-2020 बची-खुची सरकारी शिक्षा को भी समाप्त कर रही है। यह शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण व साम्प्रदायीकरण की ब्लूप्रिंट के सिवा कुछ नहीं है। शिक्षा का काम छात्रों में तार्किक सोच तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना होना चाहिए, जबकि नयी शिक्षा नीति-2020 में शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म कर शिक्षा के केन्द्रीयकरण के नाम पर सारा नियंत्रण केन्द्र सरकार अपने हाथों में ले रही है। शैक्षिक प्रशासन को समग्र रूप से केंद्रीकृत करने का सरकार का प्रयास शिक्षा के मामलों को पूरी तरह से निरंकुश तरीके से नियंत्रित करने की प्रवृत्ति को इंगित करता है।
वहीं जिला अध्यक्ष विशेश्वर महतो ने कहा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ सरकारी शिक्षा व्यवस्था को समूल नष्ट करने तथा शिक्षा का सम्पूर्ण व्यवसायीकरण करने की नीति है। इस नीति का उद्देश्य आजादी के बाद से शासक वर्ग द्वारा शिक्षा पर किये गये लगातार हमलों के बाद भी धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और वैज्ञानिक शिक्षा के बचे-खुचे अवशेषों को मिटा देना है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा- 2020 नीति का ही नतीजा है कि स्कूल-कॉलेजों और केन्द्रीय सहित सभी विश्वविद्यालयों में बेतहाशा फीस वृद्धि हो रही है। आज शिक्षा को बचाने के लिए छात्रों को संगठित होने की जरुरत है।