उत्तर प्रदेश : ‘पप्पू’ और ‘टप्पू’ , योगी की बेबाक शैली या अहंकार !
संजय कुमार विनीत
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)
उत्तर प्रदेश विधानसभा सदन में बजट सत्र के दरम्यान प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ योगी का पप्पू और टप्पू कहकर काग्रेस और सपा पर हमला करना प्रदेश में सियासी पारा को बढ़ा दिया है। अब सीएम योगी के इस बयान पर सवाल उठने लगा है कि इस तरह की भाषा का मतलब आखिरकार क्या है। बीजेपी वाले जहां इसे सीएम योगी की शैली बता रहे हैं, वहीं सपा वाले इसे अहंकार और अपमानजनक कह रहे हैं। पर अगर इसमें छुपे राजनीतिक संदेश पर गौर करें तो यह सिर्फ और सिर्फ आत्मविश्वास है, जो सीएम योगी को महाकुंभ का आयोजन, विधानसभा उप चुनाव और खासकर मिल्कीपुर चुनाव जीत कर मिला है।
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सीएम योगी , सपा सुप्रिमो अखिलेश यादव को एक समाचार पत्र में छपे अखिलेश यादव के एक बयान पर घेर रहे थें, जिसमें उन्होंने एक अखबार में बयान दिया था, और कहा था कि हमारा देश कभी भी विकसित भारत नहीं बन सकता। सीएम योगी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि एक प्रमुख राजनीतिक दल का नेता अपने देश के खिलाफ इस तरह की बात करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अब लोग ये मानने लगे हैं कि राहुल गांधी की उपस्थिति देश में भाजपा की जीत की गारंटी है, तो यूपी में अखिलेश यादव की उपस्थिति भी भाजपा की जीत की गारंटी बन गई है। इसी में जोड़ते हुए व्यंग्य के साथ कहा, “अब देश और प्रदेश के लोग यह मानने लगे हैं कि ‘पप्पू’ और ‘टप्पू’ में ज्यादा फर्क नहीं है।
दरअसल, बीजेपी राहुल गांधी को विदेशों में दिये व्यानों को देश विरोधी बताकर अक्सर घेरती रही है। राहुल गांधी के नेतृत्व में काग्रेस को बार बार हार का सामना करना पड़ा। ठीक उसी तरह सपा को भी लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। दोनों के देश विरोधी व्यान और लगातार हार को जोड़ते हुए कहा। सीएम योगी ने सपा नेता शिवपाल यादव पर भी चुटकी लेते हुए कहा, “चच्चू ने ऐसे ही नाम नहीं रखा, नाम का असर दिखता है। यह बयान सपा की आंतरिक कलह और शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के रिश्तों में आई खटास की ओर इशारा करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिवपाल यादव इन दिनों खामोश हैं, लेकिन उनका दिया हुआ नाम “टप्पू” अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है।
सीएम योगी के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भाजपा समर्थक जहां इसे योगी की बेबाक शैली कह रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस के नेता इसे अहंकार और अपमानजनक भाषा का नमूना बता रहे हैं। लेकिन सच यही है कि राजनीतिक मंचों पर ‘पप्पू’ और ‘टप्पू’ की चर्चा अब और तेज हो गई है। और बस यहीं से सवाल उठता है कि ये सीएम योगी की बेबाक शैली है या अहंकार और अपमानजनक भाषा।
कांग्रेस और सपा अब इसे जिस भी रूप में देखे। पर ये ना तो सीएम योगी की बेबाक शैली है, और ना ही अहंकार और अपमानजनक भाषा। यह विशुद्ध रूप से सीएम योगी का आत्मविश्वास है। जो उन्होंने 2024 की लोकसभा चुनाव में खोकर महाकुंभ और विधानसभा उपचुनाव में जीतकर अर्जित किया है। दरअसल, राष्ट्रवाद बीजेपी का प्रारंभ से ही एक मुद्दा रहा है और इसमें थोड़ी सी भी चूक पर बीजेपी आसानी से हो घेर लेती है। सपा सुप्रिमो अखिलेश यादव का अखबार में छपा ” भारत कभी विकसित देश नहीं हो सकता ” वाला बयान सीएम योगी के लिए काफी था, और आराम से देश में पप्पू और उत्तर प्रदेश में टप्पू बोल पाये।
महाकुंभ में 60 करोड़ के आसपास पवित्र स्नान से उत्साहित सीएम योगी के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने का काम किया। महाकुंभ के प्रारंभ से ही सपा के तरह तरह के सच्चे झूठे आरोपों पर योगी गर्जना आसान हो गया। ऐसा नहीं है कि सपा के सारे आरोप गलत ही होगें पर क्या आरोप फैक्ट चेक में गलत पाये गये हैं। इसपर सीएम योगी
विपक्षी दलों को घेरते हुए कहा कि जब आप सनातन धर्म, मां गंगा, भारत की आस्था महाकुंभ के खिलाफ अनर्गल प्रलाप और झूठा वीडियो दिखाते हैं तो यह 56 करोड़ श्रद्धालुओं व भारत की सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ है।
कोई नहीं कह सकता है कि जितने लोगो ने महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगायी, वे सभी बीजेपी को ही वोट देंगे। ऐसा कभी होता भी नहीं। पर इसमें एक बड़ा वर्ग जरूर तैयार हुआ है जो बीजेपी के पक्षधर साबित होगें। महाकुंभ को लेकर गलत आरोपों को लेकर भी विपक्षी पार्टियां अपना भले ही एक वर्ग को साधने में सफल हो पायी हो, पर बीजेपी ने भी वैसे सनातनियों को जोड़ने में कामयाब हुई है जो बीजेपी से दूरी बनाए हुए थी। यह भी सीएम योगी के आत्मविश्वास संबंर्धन का काम किया है।
आपको याद होगा,2024 के लोकसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण के बाद बीजेपी के नेता को क्या किसी कार्यकर्ता को यह उम्मीद नहीं थी कि वह अयोध्या और चित्रकूट जैसी लोकसभा सीट बीजेपी हारेगी। लेकिन जब नतीजे सामने आए तो हर कोई हैरान रह गया। सपा ने यहाँ के सांसद को एक पोस्टर व्याय के तरह पेश किया और संसद तक में अखिलेश यादव हमेशा संसद में उनके हाथ पकड़ कर बैठे चलते दिखाई दिये। यहाँ तक हुआ कि अगर संसद में किसी सपा सांसद को बोलना होता तो अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद, उस सांसद के बगल में देखे जाते और राहुल गाँधी और अखिलेश यादव अपने बगल में उन्हें बैठाकर गौरवान्वित महसूस करते देखे गये। इससे सीएम योगी काफी मर्माहत थे, और अपने को गुनहगार मानकर चल रहे थे।
अब कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल कर अयोध्या की हार का बदला ले लिया है। बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने बड़े अंतर से सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को हराया है।जहाँ लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर भाजपा 7000 वोटों से पीछे थी , वही इस उपचुनाव में इस अंतर को पाटकर लगभग 60000 से अधिक मतों से चुनाव जीतना 2027 में होने वाली विधानसभा चुनाव के परिणाम का भी संदेश दे रहा है।
अब सीएम योगी को अंदाजा मिल गया है कि अब यूपी की राजनैतिक स्थिति फिर से उनके पक्ष में है, महाकुंभ पर विपक्षी पार्टियां का रूख से स्पष्ट है कि वो बोखलाई हुई है। महाकुंभ के सफल आयोजन और मिल्कीपुर जीत कर अयोध्या का बदला लेकर सीएम योगी आत्मविश्वास से लवरेज हैं। इस बीच दिल्ली विधानसभा में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत भी सीएम योगी के आत्मविश्वास को बढाया है। इसलिए, पप्पू और टप्पू जैसे शब्दों के चयन से स्पष्ट है कि अब सीएम योगी ऐसे ही गर्जना करते नजर आयेंगे।