सरायकेला ( संजय मिश्रा) : कोरोना महामारी के चलते राज्य में लगे लॉकडाउन के कारण आम लोगों के रोजी-रोटी पर बहुत असर पड़ रहा है। एक ओर करोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही वहीं इसके चलते दिन-ब-दिन सरकार द्वारा बढ़ाए जा रहे लॉकडाउन से जनता की हालत पतली होती जा रही है। एक तो महामारी का भय दूसरी तरफ पेट की चिंता लोगों को सता रही है। लोकडाउन के चलते राज्य में सभी जगह ग्रामीण हाट व बाजार बंद पड़ी हैं। इससे खासकर ग्रामीण क्षेत्र में सब्जी उगाने वाले किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। हाट बाजार बंद होने से किसान सब्जियां बेच नहीं पा रहे हैं। आलम तो यह है कि कई किसानों की सब्जियां पौधों में ही सड़ रहे हैं। राजनागर उरांव टोला के किसान मोटका कुजूर ने दो एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती की है। मोटका ने बैंगन, भिंडी, करेला, तरबूज, कोंहड़ा, नेनुआ आदि कई अन्य सब्जियों की खेती की है। मोटका बताते हैं कि हाट बाजार बंद होने के कारण सब्जियां बेच नहीं पा रहे हैं। आखिर कहां बेचेंगे। तैयार हुआ बैंगन पौधे में ही पीले पड़ने लगे हैं। तरबूज भी बारिश के कारण फट रहे हैं। छिटपुट कुछ देर के लिए सब्जी हाट लगती है। इसमें कितना उपज बेचेंगे। जितना का सब्जी तोड़वाने में खर्चा होता है उतना तो आमदनी ही नहीं आ रहा है। जिसके कारण भिंडी भी मेरा खेत में बर्बाद हो गया। इस बार तो लगता है कि बीज का खर्चा भी नहीं निकलेगा। मोटका बताते हैं कि वे बिना किसी सरकारी मदद से खेती कर रहे हैं। सालाना एक लाख तक आमदनी करते हैं। बीज-खाद से लेकर लेबर का रेट भी बढ़ गया है। ऊपर से बाजार बंद है। उपज बेच नहीं पा रहे। प्राकृतिक नुकसान भी सहना पड़ रहा है। मार्केटिंग न होने से मुझ जैसे न जाने कितनों का यही हाल है। कोरोना से किसान वर्ग को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। सरकार किसानों के हित में कुछ सोचे। नुकसान का भरपाई कैसे करेंगे। बहुत घाटा उठाना पड़ रहा है। अगली फसल उगाने के लिए सोचना पड़ रहा है। सरकार किसानों को आर्थिक मदद करे।