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इस साल होली पर शुभ योंगों का संयोग; परिवार में सुख शांति के लिए बन रहा है बुध-गुरु आदित्य योग…..

अखंड सौभाग्य के लिए 18 से 16 दिवसीय गणगौर पूजन

सरायकेला। इस साल होली के शुभ अवसर पर वृद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और ध्रुव योग के शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। उक्त जानकारी देते हुए क्षेत्र के प्रसिद्ध पंचांग वाचक पंडित बृज मोहन शर्मा बताते हैं कि वृद्धि योग में किए गए काम से लाभ मिलता है। यह योग व्यापार के लिए लाभदायक है। सर्वार्थ सिद्धि योग में शुभ अच्छे कार्यों से पुण्य प्राप्त होता है। इसी प्रकार ध्रुव योग से चंद्रमा सभी राशियों पर अच्छा प्रभाव डालते हैं। इस साल होने पर बुध-गुरु आदित्य योग भी बनने जा रहा है। जिसमें पूजा विधान करने उसे घर परिवार में सुख शांति का आगमन होता है। और संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है। इस वर्ष 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को होली का उत्सव मनाए जाने को लेकर क्षेत्र में तैयारियां जोरों पर है।

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अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करेंगी गणगौर पूजन :-

स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व 16 दिवसीय गणगौर पूजन का शुभारंभ आगामी 18 मार्च से होगा। वसंत और फाल्गुन की रुत में श्रृंगारित धरती और माटी का गणगौर पूजन प्रकृति और स्त्री के जीवन के सृजन और उत्सव के उमंग के मेल को बताता है। गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं और विवाहित स्त्रियां ताजा जल कलश में भरकर उसमें हरी हरी दूब और फूल सजा कर सिर पर उठाए गणगौर के गीत गाती हुई घर आती हैं।

जिसके बाद शुद्ध मिट्टी के शिव स्वरूप ईसर और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा बनाकर चौकी पर स्थापित करती हैं। शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर संपूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चंदन, अक्षत, धूप, दीप, दूब और उससे उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। सौभाग्य की कामना के लिए दीवार पर 16-16 बिंदियां रोली, मेहंदी और काजल लगाई जाती है। एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी और कुमकुम घोलकर सुहाग जल तैयार किया जाता है। दोनों हाथों में दूब लेकर सुहाग जल से गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती है। अंत में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनी जाती है।

मौके पर गणगौर माता से लोकगीतों के माध्यम से प्रार्थना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अखंड सौभाग्य के लिए कठिन तप के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था। और इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा माता पार्वती समस्त इस्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। तभी से इस व्रत की प्रथा प्रारंभ हुई थी।

बताते चलें कि गणगौर महिलाओं का त्योहार माना जाता है। इसलिए गणगौर पर चढ़ा हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है। और माता पार्वती को चलाया जाने वाला सिंदूर से महिलाएं अपनी मांग सजाती हैं। 18 मार्च को होली के साथ प्रारंभ होकर गणगौर पूजन का समापन आगामी 4 अप्रैल को गणगौर विसर्जन के साथ किया जाएगा।

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