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झारखंड के कद्दावर नेता समरेश सिंह का गुरूवार के सुबह

बोकारो स्थित आपने आवास में ली अंतिम सांस,  पैतृक

घर चंदनकियारी में शुक्रवार के 9 बजे होगा अंतिम संस्कार….

 

पूर्व मंत्री व बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने सिटी सेंटर स्थित अपने आवास में सुबह लगभग 6.30 बजे अंतिम सांस ली. अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह 9 बजे उनके पैतृक गांव चंदनकियारी में किया जाएगा.

रांची ब्यूरो: झारखंड के कद्दावर नेता समरेश सिंह गुरूवार के सुबह लगभग 6.30 बजे निधन हो गया। बताय जा रहा है कि 12 नवंबर को सांस कीें तकलीफ होने के कारण रांची मेडिका में भर्ती किया गया था. वही मंगलवार को डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया था. इसके बाद से वे घर पर ही इलाज चल रहा था .

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निधन के वाद नेतागण अंतिम दर्शन को पहुंचे :

निधन की सूचना मिलते ही बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो और बोकारो विधायक विरंची नारायण समरेश सिंह के आवास पहुंचे और उनका अंतिम दर्शन किया. समरेश सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह 9 बजे उनके पैतृक गांव चंदनकियारी में किया जाएगा. उनके बड़े पुत्र राणा प्रताप भी अमेरिका से पहुंच चुके हैं. हलांकी पूर्व मंत्री समरेश सिंह की पत्नी भारती सिंह का निधन पांच वर्ष पूर्व 28 अगस्त 2017 को ही हो चुका था.

पूर्व विधायक समरेश सिंह भाजपा के दादा कहलाते थे :

पूर्व विधायक समरेश सिंह राजनिति जीवन भारतीय जनती पार्टी से शुरूवात की थी । 1980 में भजपा का मुम्बई में प्रथम अधिवेशन आयोजिता किया गया था । भाजपा का निशान कमल चिन्ह्न का सुझााव इनके द्वारा दिया गया था । जिसे सर्वसम्मति से केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी ।

पूर्व विधायक समरेश सिंह का राजनिति यात्रा –

पूर्व से ही समरेश सिंह भाजपा विचारधार के थे । प्रथम वार 1985 में कमल निशान पर चुनाव में जीत मिली थी. बाद में समरेश भाजपा से 1985 व 1990 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए. समरेश सिंह का सफर
1980: भाजपा से जुड़े
1985: बोकारो से विधायक
1990: बोकारो से विधायक
2000: झारखंड वनांचल कांग्रेस पार्टी से बोकारो के विधायक
2009: झाविमो के टिकट पर बोकारो से विधायक
2014: निर्दलीय लड़े व हारे
1995 में समरेश सिंह भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद वर्ष 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़ा. फिर 2009 में झाविमो के टिकट पर विधायक बने. बाद में भाजपा में शामिल हो गये, लेकिन 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े थे. जिसमें उन्हें हार मिली थी.

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