झामुमो जिलाध्यक्ष ने टैब से बायोमैट्रिक हाजरी का आदेश वापस लेने की सरकार से की मांग।
सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा): सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज करने संबंधी सरकार के आदेश पर सरायकेला-खरसावां झामुमो ने आपत्ति जताई है। इस संदर्भ में मंगलवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान झामुमो जिलाध्यक्ष डॉ शुभेन्दु महतो ने मीडिया के माध्यम से सूबे के कल्याण मंत्री चंपई सोरेन से आग्रह किया है कि सरकारी स्कूलों को प्राप्त टैब को खोलते ही उसमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का विडियो संबोधन आता है। उक्त संबोधन के हिसाब से अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ही हैं जो कि नियमत: ग़लत है। इसलिए उन्होंने कल्याण मंत्री से आग्रह किया है कि वे मुख्यमंत्री से इस विषय पर बातचीत कर फिलहाल शिक्षकों को बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने संबंधी पत्र को निरस्त कराकर इस आदेश को स्थगित करवाएं। जिलाध्यक्ष डॉ महतो ने आगे कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने सरकारी स्कूलों को उपलब्ध कराए गए टैबों में अपना विडियो संदेश अपलोड कराकर करोड़ों रुपए का दुरुपयोग किया है। उन्हें यह समझ होनी चाहिए थी कि चूंकि टैब सरकारी संपत्ति है और वे आजीवन मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे तो फिर टैब पर अपना विडियो संदेश अपलोड कराने का कोई औचित्य ही नहीं है। अब आलम यह है कि उक्त टैबों से वह संदेश हटाना काफ़ी कठिन है अर्थात स्कूलों को पुनः नये टैब उपलब्ध कराने होंगे। जिसमें काफ़ी बड़ी धनराशि एक बार फिर सरकार को खर्च करनी पड़ेगी। यह संपूर्ण रूप से पिछली सरकार की तानाशाही और फिजूलखर्ची की बानगी है। इसके अलावा अधिकांश स्कूलों के टैब और डिवाइस लॉकडाउन के दौरान उपयोग के अभाव में ख़राब हो चुके हैं। व्यक्तिगत मोबाइल फोन पर बायोमैट्रिक हाजिरी बनाने के लिए नियमत: सरकार शिक्षकों को बाध्य नहीं कर सकती है, क्योंकि आज़ की तिथि में भी बहुत सारे शिक्षकों के पास अपना व्यक्तिगत स्मार्टफोन नहीं है. साथ ही एक ही डिवाइस पर एक से अधिक लोगों की हाजिरी बनाना कोविड नियमों की अनदेखी होगी और शिक्षकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह खतरनाक भी होगा। इन तमाम कारणों को ध्यान में रखते हुए वे माननीय कल्याण मंत्री श्री चंपई सोरेन जी के माध्यम से मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि जब तक टैबों से पूर्व मुख्यमंत्री का संदेश हटा नहीं लिया जाता और कोविड महामारी का खतरा टल नहीं जाता, तबतक शिक्षकों को बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बाध्य न किया जाए। तत्काल शिक्षा विभाग के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए शिक्षकों से मैनुअल उपस्थिति ही दर्ज कराई जाय।