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वेरी पॉजिटिव इनिशिएटिव: अब सरकारी स्कूल के बच्चों को सप्ताह में एक दिन स्कूल बैग के भार से मिलेगी मुक्ति; मनेगा “बैगलेस डे”

स्कूली बच्चों को अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने का बेहतर अवसर होगा बैगलेस डे : रबिकांत भकत…

सरायकेला: संजय मिश्रा

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जीवन में प्रतिदिन की परिस्थितियों से रूबरू होने और सहज रूप से उन परिस्थितियों का सामना करने तथा समग्र विकास के लिए सरकारी विद्यालयों में सप्ताह में एक दिन बस्ता रहित दिवस अर्थात बैगलेस डे मनाए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को विद्यालय के कक्षा पहली से 12वीं तक के बच्चे बिना स्कूली बैग लिए विद्यालय पहुंचेंगे। उक्त जानकारी देते हुए सरायकेला प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी रबिकांत भकत ने बताया इस दिवस पर स्कूली बच्चे प्रोजेक्ट रेल के रेगुलर एसेसमेंट फॉर इंप्रूव लर्निंग की परीक्षा देने के पश्चात 2 घंटे की बैगलेस क्लास अटेंड करेंगे। जिसमें बच्चे किताब विज्ञान से बाहर प्रकृति से और अपने आसपास के परिवेश से तथा अपने चिंतन के माध्यम से शिक्षकों के मार्गदर्शन में सीखने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि इस दिवस पर विद्यालय का छात्र अपनी इच्छा के अनुसार विषय का चयन करने के लिए स्वतंत्र होगा। जिससे वह अपनी इच्छा और ज्ञान को बेहतर से बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित कर सकेगा। उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों में स्वतंत्र चिंतन के विकास और अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने यह एक बेहतर और उन्नत अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है।

इसके सामाजिक पहलू का प्रभाव हो सकता है कि समाज के ऐसे वर्ग या स्थानीय कारीगर बढ़ई, माली, कुम्हार, मूर्तिकार सहित अन्य कलाकार, जो किसी विशेष प्रशिक्षण के बिना अपने व्यवसाय को अपने हुनर के बल पर करते हैं, उनसे मिलकर और बातचीत कर उनके कार्यशैली तथा जीवन यापन के विषय में जानकारी प्राप्त किया जा सकता है। अध्ययन की दृष्टि से इस दिवस पर बच्चे विद्यालय में स्थित आईसीटी लैब, विज्ञान प्रयोगशाला एवं स्थानीय कार्यालय का भ्रमण कर उनके कार्य और कार्य करने के नियमों के विषय में जानकारी हासिल कर सकते हैं।


प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी रबिकांत भकत ने बताया कि

बैगलेस डे स्कूली बच्चों के अपने स्वतंत्र चिंतन के विकास और अपने अंदर की प्रतिभा को स्वयं निखारने का एक बेहतर अवसर होगा। जिसमें बच्चों को आनंददायक शिक्षा का अनुभव प्राप्त होगा। साथ ही इसके माध्यम से स्कूली बच्चों में किताबों से प्राप्त ज्ञान और व्यवहारिकता में लागू होने वाले ज्ञान के बीच वर्तमान में मौजूद बाधाओं को कम किया जा सकता है। कौशल आधारित शिक्षा और सामान्य शिक्षा पाठ्यक्रम में पाए जाने वाले विषयों जैसे विज्ञान, भाषा, सामाजिक विज्ञान, गणित इत्यादि के बीच अंतर को पाटने में बैगलेस डे मददगार साबित होगा।

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