चाकुलिया: श्री कृष्णा चैतन्य प्रभु नित्यानंद के असीम करुणा में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ आयोजन, प्रसंग सुनकर श्रद्धालु हुए भाव विभोर
चाकुलिया (विश्वकर्मा सिंह) नगर पंचायत क्षेत्र स्थित नामोंपाड़ा में अवसर प्राप्त शिक्षक शैलेंद्र बेरा के आवास में श्री कृष्णा चैतन्य प्रभु नित्यानंद के असीम करुणा में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कथावाचक पश्चिम बंगाल स्थित मेदिनीपुर के महात्मा कृष्णानंद अधिकारी ने अजामीर उपाख्यान वर्णन, प्रहलाद चरित्र और श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनाई. इस दौरान कथावाचक महात्मा कृष्णानंद अधिकारी ने बताया कि बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा. सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था. भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को हुआ था. श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से हुआ था. कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया था. उन्होंने कहा कि एक बार कंस अपनी बहन को उसके ससुराल ले जा रहे थे, तब रास्ते में भविष्यवाणी हुई कि जिस देवकी को कंस ले जा रहे हैं, उसी में उनका काल बसता है. भाद्रपद महीने की अंधेरी रात को अष्टमी के दिन कंस के जेल में अचानक अलौकिक प्रकाश फैलने लगा और श्रीकृष्ण का जन्म हुआ.
वासुदेव ने नन्हे बालक रूप में श्रीकृष्ण को यमुना पार गोकुल नंद के घर ले जाया. सुबह होते ही गोकुल में नंद बाबा के घर बालक जन्म होने की बात पता चलते ही उत्सव मनाया जाने लगा. श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे. श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे. एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को खिलौने, चॉकलेट और मिठाईयां बाटी गई. कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन प्रदुम कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई. इस मौके पर विजय मिश्रा, पतित पावन दास, चंद्रदेव महतो, शैलेन्द्र नाथ बेरा, कन्हैया सहल, लक्ष्मी नारायण दास, मानस बेरा, सीवेन पाल आदि उपस्थित थे.