Spread the love

बांदना गीत प्रतियोगिता में महिला वर्ग से सखान महतो एवं पुरुष वर्ग से राकेश महतो को मिला प्रथम स्थान

प्रकृति और कृषि सहयोगी पर आधारित राढ़भूमि की महापर्व है बांदना — पद्मश्री छुटनी महतो

चांडिल: विद्युत महतो

Advertisements
Advertisements

कुकड़ु प्रखण्ड अंतर्गत भाकुड़गाड़ा स्थित सदाइ बुरु मैदान में विराट बांदना/सोंहराइ गीत प्रतियोगिता का आयोजन आदिवासी कुड़मी समाज के तत्त्वावधान में रविवार को देर रात तक किया गया। इसकी अध्यक्षता जिला प्रभारी प्रभात कुमार महतो ने किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री छुटनी महतो ने कहा “कृषि सभ्यता संस्कृति की आदि पर्वों में से एक पर्व बांदना सोंहराइ पर्व है। जो प्रकृति और कृषि सहयोगी पर आधारित राढ़ भूमि की महापर्व है। कृषि सहयोगी यानि पशुधन के साथ मनाया जाने वाली खुशी का महोत्सव है बांदना । अर्थात् गाय, बैलों की बांदना। इन्हीं पशुधन के कारण तो हम अपने जीवन रक्षक पेट की भूख मिटाने वाले अन्न को उपजा पाते हैं‌।

इसलिए कृषि सामग्री हल, चुआइर आदि की पूजा, गोहाल पूजा, साक्षात् प्रकृति लक्ष्मीस्वरूपा गाय की एवं बैलों आदि की पूजा इन्हीं बांदना महोत्सव के मुहुर्त में ही एक साथ किया जाता है । इसमें विशेष खासियत सभी रीति-रिवाज, गीत, परंपरा आदि कुड़माली भाषा संस्कृत से जुड़ी हुई है।” विशिष्ट अतिथि महासचिव अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर, समाजसेवी अशोक पुनअरिआर, शिक्षाविद् गुणधाम मुतरुआर, केंद्रीय सदस्य जीतेन महतो आदि ने भी अपना अपना वक्तव्य रखा ।

प्रतियोगिता के निर्णायक मंडली में शामिल शिक्षाविद् रमाकांत बांसरिआर, कलेश्वर काड़ुआर, प्रियरंजन बांसरिआर, सुनील कुमार जुरुआर, कवि रामविलास पुनअरिआर के द्वारा लिए गए निर्णय के सफल विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम के 128 प्रतिभागियों में महिला वर्ग से प्रथम स्थान सखान महतो, द्वितीय बिजली महतो एवं तृतीय नेहा रानी महतो को और पुरुष वर्ग से प्रथम स्थान राकेश महतो, द्वितीय नरेश महतो एवं तृतीय भुवनेश्वर कर्मकार को पुरस्कार प्राप्त हुआ।

बाकी अन्य सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम के नियमानुसार सभी विजेताओं को एक प्रशस्ति पत्र एवं एक शॉल के साथ प्रथम को ₹ 999 , द्वितीय को ₹ 777 एवं तृतीय को ₹ 555 रुपए पुरुष एवं महिला वर्ग के विजेताओं को अलग अलग दिया गया और अन्य सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र के साथ एक शॉल दिया गया। कार्यक्रम में अनुप कुमार महतो, वासुदेव महतो, विजय महतो, बाबलु महतो, भोला महतो, बादल महतो, भद्रेश्वर महतो, विश्वनाथ महतो आदि का प्रमुख योगदान रहा।

Advertisements

You missed