राज्य सरकार का विस्थापन आयोग गठन करने का वादा झूठा साबित हुआ : रामचंद्र सहिस
कांग्रेस ने चांडिल डैम बनाकर लोगों को बेघर किया, उसी कांग्रेस के साथ झामुमो सरकार चला रही हैं : हरेलाल महतो…
चांडिल ( कल्याण पात्रा) । रविवार को पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस तथा आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो के नेतृत्व में आजसू कार्यकर्ताओं ने चांडिल के जयदा स्थित शहीद बेदी पर जयदा गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। आजसू कार्यकर्ताओं ने शहीद बेदी पर पुष्प अर्पित की एवं शहीदों को याद किया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस ने कहा कि चांडिल डैम के निर्माण से लेकर आजतक विस्थापित संघर्ष कर रहे हैं। वर्तमान सरकार को अविलंब विस्थापितों के समस्याओं का समाधान करना चाहिए क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं ही कहा था कि उनकी सरकार बनते ही चांडिल डैम के विस्थापितों को न्याय दिलाने का काम करेंगे। रामचंद्र सहिस ने कहा कि हेमंत सरकार ने साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है लेकिन अभी तक विस्थापितों के हित में कोई पहल नहीं किया है जो कि दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार द्वारा विस्थापन आयोग गठन करने का वादा झूठा साबित हुआ, सरकार ने विस्थापितों को ठगने का काम किया।
इस मौके पर आजसू केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने कहा कि ऐतिहासिक जयदा शहीद स्थल पर शहीद बेदी को नमन करने तथा श्रद्धांजलि देने का सौभाग्य मिला। 30 अप्रैल 1978 को चांडिल डैम निर्माण के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से विस्थापितों द्वारा जनसभा किया जा रहा था, उस जनसभा में तत्कालीन बिहार सरकार (कांग्रेस सरकार) के निर्देश पर विस्थापितों पर गोलियां चलाई गई थी। उस नरसंहार में अनेकों विस्थापित शहीद हुए थे। इस घटना से पता चलता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ईचागढ़ विधानसभा के जनता के सहमति के बगैर जबरन चांडिल डैम का निर्माण करवाया है। उन्होंने कहा कि डैम निर्माण के 40 साल बाद भी आजतक विस्थापितों को अधिकार नहीं मिला, जो कि हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हरेलाल महतो ने कहा कि जिस कांग्रेस सरकार ने जबरन डैम निर्माण करके ईचागढ़ विधानसभा के हजारों परिवार को बेघर किया है, आज उसी कांग्रेस के साथ झामुमो सरकार चला रही हैं। झामुमो के इस दोहरे चरित्र को जनता पहचान चुकी हैं, आने वाले समय में जनता इसका मुंहतोड़ जवाब देगी।
श्रद्धांजलि देने वालों को आजसू जिलाध्यक्ष सचिन महतो, माधव सिंह मुंडा, प्रदीप गिरी, मंगल टुडू, लक्ष्मीकांत महतो, पुलक सथपति, प्रभाकर महतो आदि मौजूद थे।