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गुरुचरण साव के दर्द को समझे सरकार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विस्थापन आयोग गठन करने का वादा आज भी अधूरा: सांसद…

चांडिल: परमेश्वर साव
चांडिल: मंगलवार को चांडिल डेम से छलांग लगाने पहुंचे गुरुचरण साव को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मामला अब तुल पकड़ने लगा है, पुलिस के द्वारा हिरासत में लिए जाने को लेकर क्षेत्र के आम व खास सभी लोगों की प्रतिक्रिया आने लगी है। पुलिस के इस कारवाई की निंदा चारों ओर हो रही है। लोगों ने तो यहां तक कह दिया की विभाग के निर्देश पर प्रशासन विस्थापितों के आन्दोलन को कुचलने के प्रयास कर रही है। गुरचरण साव के खिलाफ पुलिसिया कारवाई को लेकर रांची संसदीय क्षेत्र के सांसद संजय सेठ ने तिखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन को यह सोचना चाहिए कि गुरुचरण साव डैम से छलांग लगाने का निर्णय किस परिस्थिति में लिया। यह केवल और केवल सरकार और मैनेजमेंट के लापरवाही का ही नतीजा है । एक ओर जहां विभाग विस्थापितों को आज लगभग 67 दिनों से नजरअंदाज कर उनके जज्बातों के साथ खेल रही हैं वहीं दूसरी ओर सरकार इस विषय पर सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगी है। प्रशासन एवं झारखंड सरकार से विस्थापितों के लिए उनकी मांग बिल्कुल जायज है।

सरकार को विस्थापितों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए न की विस्थापितों को जेल में डालना चाहिए। सालों साल से विस्थापितों की समस्याओं का समाधान नहीं होने के कारण ही आज चांडिल डेम के विस्थापित अपनी जान देने पर तुले हुए हैं। सूबे की सरकार और प्रशासन को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए वहां के विस्थापितों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। विस्थापितों द्वारा डैम का जलस्तर 180 आरएल रखने की मांग शुरू से की जा रही है, मेरे द्वारा भी कई बार पत्राचार किया गया है परंतु सरकार और प्रशासन इस पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं कर अपना मनमानी करने पर उतारू है। इन दिनों डेम का जलस्तर 180 आरएल से अधिक होने के कारण वहां के विस्थापित दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है। आज वे अपने हक और अधिकार के लिए जल सत्याग्रह या और भी कोई आंदोलन करने का प्रयास करते है तो यह जनविरोधी सरकार उसे दबाने और कुचलने का प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईचागढ़ के चुनावी सभा में कहा था कि उनकी सरकार बनते ही विस्थापन आयोग का गठन किया जाएगा एवं विस्थापितों को न्याय दिलाया जाएगा। आज उनके सरकार के चार साल पूरे होने को है लेकिन अभी तक विस्थापितों को न्याय नहीं मिला है। श्री सेठ ने सरकार से मांग किया है कि विस्थापितों जेल में डालकर उनके आन्दोलन को कुचलने के बजाय उनसे किए गए वादों को अमली जामा पहनाने को लेकर पहल करे।

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