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246 वीं शहादत दिवस पर महानायक क्रांतिवीर वीर शहीद रघुनाथ महतो की झिमड़ी स्थित सोनाडूंगरी में 6 फीट का मूर्ति स्थापित किए गए…

क्रांतिवीर वीर शहीद रघुनाथ महतो के जीवन-आदर्श सभी देशवासियों के लिए एक प्रेरणादायक है : अजीत प्रसाद महतो…

चांडिल: आज दिनांक 05/04/2024 को क्रांतिवीर वीर शहीद रघुनाथ महतो मूर्ति स्थापना संकल्प समिति झिमड़ी की ओर से महानायक क्रांतिवीर वीर शहीद रघुनाथ महतो की 246 वीं शहादत दिवस मनाया गया। नीमडीह प्रखंड अंतर्गत झिमड़ी स्थित सोनाडुंगरी परिसर में क्रांतिवीर वीर शहीद रघुनाथ महतो की आदमकद 6 फीट की मूर्ति स्थापित कर श्रद्धांजलि दी गई।

इस अवसर पर मूर्ति का अनावरण मुख्य अतिथि आदिवासी कुड़मी समाज के मुलखूंटी मूल मानता अजीत प्रसाद महतो के द्वारा किया गया। मौके पर श्री महतो ने सभाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है, ऐसे वीर योद्धाओं का मूर्ति स्थापित करने का मौका मिला। क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो के जीवन आदर्श सभी देशवासियों के लिए एक प्रेरणादायक है ।

भले ही आज के इतिहासकारों ने इनके जीवन आदर्श को अपने पन्ने में बहुत कम जगह दिया है। परंतु आगे चलकर इनके क्रांति, वीरता एवं आदर्श जीवन को स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ प्रथम संगठित जन विद्रोह चुआड़ विद्रोह (1767 – 1778 ई०) किया था। अंग्रेजों का सर्वप्रथम सशक्त विरोध क्रांतिवीर रघुनाथ महतो के नेतृत्व में 1769 को प्रारंभ हुआ था। क्रांतिवीर रघुनाथ महतो इस आंदोलन को सशक्त व नेतृत्व करने में सक्षम थे । क्रांतिवीर विशाल प्रतिभा के धनी थे, वे बलिष्ठ व लठैत होने के साथ-साथ दुश्मनों की कूटनीतिक चाल व षड्यंत्र को परखने, समझने की क्षमता रखते थे।

उनका नारा था “अपना गांव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज”। तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत इनके आंदोलन से परेशान हो रहे थे, क्योंकि इनका आंदोलन इस क्षेत्र में दूर-दूर तक फैला हुआ था। 5 अप्रैल 1778 महानायक क्रांतिवीर और इनके सहयोगियों के लिए दुर्भाग्य का दिन साबित हुआ।

इस तिथि को रघुनाथ महतो ने सिल्ली प्रखंड अंतर्गत लोटा गांव के ‘ गढ़तैंतेर ‘ नमक गुप्त स्थल पर विद्रोहियों की एक गुप्त मीटिंग बुलाई गई थी। परंतु मुखबिरों की माध्यम से इस योजना का भनक अंग्रेजों को मिल गई । पूरी तैयारी के साथ अंग्रेजों ने इस स्थल को घेर लिया और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं । परंतु अंतिम सांस तक लड़ते लड़ते सहयोगों के साथ शहीद हो गए। आज भी इनके शहीद स्थल पर शहीदों का 15 शीलाचिन्ह स्मृति के तौर पर स्थापित है।

कोटि-कोटि नमन है ऐसे शहीदों को। कार्यक्रम का समापन झुमूर सम्राट भोलानाथ महतो , झुमूर कवि शिल्पि गोविन्दलाल महतो एवं समूहों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति देकर दर्शकों को सम्मोहित किया।

इस कार्यक्रम में आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ सुजीत कुमार महतो, हरमोहन महतो, काकोली महतो गुणधाम मुतरुआर, अशोक पुनरिआर , प्रभात कुमार महतो, वासुदेव महतो, गणेश महतो, पद्मलोचन महतो, गुहीराम महतो, विजय महतो , रमाकांत बांसरिआर, निखिल रंजन महतो आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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