आखिरी एवं निर्णायक आंदोलन में शामिल होंगे लाखों कुड़मी :अजीत प्रसाद महतो
चांडिल (विद्युत महतो) आदिबासी कुड़मी समाज के तत्वावधान में नीमडीह प्रखण्ड के रघुनाथपुर स्थित डाक-बंगला में 20 सितंबर से नीमडीह स्टेशन में दुसरी बार रेल टेका व डहर छेंका आंदोलन को सफल बनाने को लेकर समाजसेवी बैद्यनाथ महतो की अध्यक्षता में एक तैयारी बैठक किया गया। इसमें सरायकेला खरसावां,पूर्वी सिंहभूम एवं पश्चिम सिंहभूम आदि जिला क्षेत्र से समाज के सैंकड़ों सक्रिय सदस्य लोग शामिल हुए । इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आदिवासी कुड़मी समाज के मुलखुंटि मुलमानता (संरक्षक) अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि 73 वर्षों से जो मानवीय अधिकार की क्षति आदिवासी कुड़मी समुदाय के दो करोड़ से अधिक जनसंख्या के साथ किया गया। उसे नुकसान की क्षतिपूर्ति अरबों खरबों रुपए देखकर भी भरपाई भारत सरकार नहीं कर सकती है। कुड़मी जनजाति के संपूर्ण विकास पर एक षड़यंत्र के तहत भारत सरकार ने रोक लगा कर रखा है। 73 सालों से एक विशाल इंडिजेनस लोगों के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विकास से वंचित रखना और राज्य के विकास के नाम पर उनकी जमीन को अधिग्रहित के नाम पर लुटना ही मानवीय अधिकारों का हनन है। इसकी भरपाई हमारे देश की सरकारें कभी नहीं कर पाएगी। अब कुड़मियों के लिए आंदोलन ही अंतिम रास्ता है।
छोटानागपुर एवं संथालपरगना के कुड़मी जनजाति भारत के प्रथम जनगणना 1901 एवं 1911 में कुड़मी को “एबओरजिनल कम्युनिटी”1921 में “एनीमिस्टस” तथा 1931 में प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में शामिल थी। भारत सरकार का आदेश एसआरओ 510 दिनांक 6 सितंबर 1950 और नं०2-38-50 पब्लिक दिनांक 5 अक्टूबर 1950 यह घोषित करता है कि केवल वे जनजातियां जिनका नाम 1931 की जनगणना प्रतिवेदन में प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में शामिल है उन्हें देश की संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार राष्ट्रपति किसी ट्राइब या ट्राइब्स जनजाति समुदाय को अनुसूचित जनजाति में घोषित करेंगे । और उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया जाएगा। किंतु छोटानागपुर एवं संथालपरगना के कुड़मी जनजाति को 1931 की जनगणना में प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में रहते हुए भी 1950 की अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया।
कुड़मी जनजाति देश की आजादी से पहले आदिम जनजाति में सुचीबद्ध था किंतु 1950 ईस्वी में अनुसूचित जनजाति का जब सूची तैयार हुआ , तब कुड़मी जनजाति को छोड़कर सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया। यह भारत सरकार द्वारा प्रेषित पत्रांक नं०- 26/12/50-RG दिनांक 15/02/ 1951 जनजाति सूची में कुड़मी जनजाति का उल्लेख नहीं होने के कारण तत्कालीन सांसद सदस्य हृदयनाथ कुजरु द्वारा संसद में पूछे गए प्रश्न के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू ने सरकारी भूल एवं भूल सुधारने की बात कबूल की थी, तब से अब तक 73 वर्षों से लगातार यह जनजाति अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध हेतु आन्दोलनरत हैं। तत्कालीन सरकार ने लोकसभा एवं राज्यसभा में बिल पास करने के बाद भूल सुधारने की बात कही थी अर्थात एसटी सूची में कुड़मी को सूचीबद्ध करने की बातें थी। परंतु आज की सरकारें टीआरआई और सीआरआई के नाम पर हमें अपना अस्तित्व एवं संवैधानिक अधिकार से वंचित रखने की काम कर रही है।
जिसके विरोध में इस बार का समाज आंदोलन हमारी आखिरी एवं निर्णायक साबित होगी। इस मुहिम के अंतर्गत झाड़खंड में चार जगहों (नीमडीह, गोमो, मुरी एवं घाघरा), उड़ीसा में तीन, एवं पश्चिम बंगाल में कुशटांढ़ और खेमाशूली दो जगहों पर एक साथ 20 सितंबर 2023 से पुनः अनिश्चितकालीन रेल टेका एवं डहर छेंका आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। इस बार स्टेशनों में हजारों-लाखों की भीड़ शामिल होंगे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्रीय सहसचिव जयराम महतो, प्रदेश अध्यक्ष पद्मालोचन महतो, जिला प्रभारी प्रभात कुमार महतो, अशोक पुनअरिआर , गुणधाम मुतरुआर, मनोहर महतो, विजय प्रताप महतो, बासुदेव , मृत्युंजय अनुप महतो, श्यामलाल, सुदर्शन, प्रकाश, सुखेन, नीलकमल, बाबलु, दीपक,दिनेश, हरेकृष्ण,निर्मल महतो, दिलीप महतो, भोलानाथ महतो, चितरंजन महतो, सुखदेव महतो, आदियों का प्रमुख योगदान रहा ।
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