मत्स्य-कच्छप अवतार के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देंगे महाप्रभु श्री जगन्नाथ एवं बड़े भाई बलभद्र, विपदातारिणी के रूप में पूजी जाएंगी माता सुभद्रा…
सरायकेला संजय मिश्रा ।
सरायकेला की परंपरागत रथ यात्रा के तहत विश्व की इकलौती रथ यात्रा जहां वेष परंपरा की जाती है। उनके समय में भगवान श्री हरि विष्णु के दशावतारों के रूप में की जाने वाली वेष परंपरा वर्तमान में सिमट कर कुछ एक अवतारों तक रह गई है। जिसमें इस वर्ष भी गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, उज्जवल सिंह, पार्थ सारथी दास, शुभम कर, मानू सतपथी, विक्की सतपथी एवं मुकेश साहू द्वारा वेष सज्जा की जाएगी। इसके तहत मंगलवार को महाप्रभु श्री जगन्नाथ मत्स्य अवतार में और बड़े भाई अग्रज बलभद्र कछुआ के अवतार में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। गुरु सुशांत कुमार महापात्र द्वारा बताया गया कि इसके अलावा विपदातारिणी व्रत उत्सव के अवसर पर माता सुभद्रा विपदातारिणी माता स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगी।
सरायकेला रथ यात्रा में वर्ष 1986 से जारी है वेष परंपरा:-
स्वर्गीय डोमन जेना द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वर्ष 1986 से वेष परंपरा की शुरुआत अलौकिक स्वप्न विचार के साथ की गई थी। वर्ष 2010 में उनके निधन के बाद कुछ वर्षों के लिए वेष परंपरा स्थगित रही थी। पुनः गुरु सुशांत कुमार महापात्र द्वारा शिष्य कलाकारों के सहयोग से सरायकेला रथ यात्रा में वेष परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। इसके तहत गुंडिचा मंदिर मौसी बाड़ी का कपाट बंद कर मध्य रात्रि से वेष सज्जा प्रारंभ की जाती है। और अहले सुबह गुंडिचा मंदिर का कपाट खुलते ही अवतार के स्वरूप में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के दर्शन भक्त करते हुए पूजा अर्चना करते हैं।
आज होगी विपदातारिणी व्रत पूजा:-
गुंडिचा मंदिर मौसी बाड़ी में मंगलवार को विपदातारिणी व्रत पूजा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सुहागिने उपवास व्रत रखते हुए माता सुभद्रा की मां विपदातारिणी स्वरूप में पूजा अर्चना करेंगी। और दीप दान करते हुए भोग प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाएंगी। मान्यता रही है कि रथयात्रा के दौरान मंगलवार को मां विपदातारिणी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से घर एवं परिवार पर आए संकट दूर हो जाते हैं। और घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
गुंडिचा मंदिर में जारी है महाप्रभु की आराधना:-
मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर में हवा खोरी करने को लेकर 9 दिनों के लिए पधारे महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ सिंहासन पर विराजमान है। जहां पुजारी पंडित ब्रह्मानंद महापात्र सहित पुजारियों के दल द्वारा पूजा अर्चना कराई जा रही है। इस अवसर पर दर्जनों की संख्या में भक्त गुंडिचा मंदिर पहुंचकर महाप्रभु श्री जगन्नाथ के दर्शन करते हुए भोग प्रसाद का चढ़ावा चढ़ा कर पूजा अर्चना कर रहे हैं। वही श्री जगन्नाथ मेला समिति द्वारा भक्तों के बीच महाप्रभु के महाप्रसाद का वितरण किया जा रहा है।