Spread the love

प्रखंड में एक दिवसीय तसर कृषि मेला का आयोजन हुआ…

नोनिहाट अक्षय कुमार मिश्रा
काठीकुंड  क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दुमका के तत्वाधान में शनिवार को काठीकुंड प्रखंड स्थित केंद्रीय रेशम बोर्ड परिसर में एक दिवसीय तसर कृषि मेला का आयोजन किया गया।मेले के अवसर में कृषकों के जागरूकता हेतु एक कार्यक्रम आयोजित हुई। जिसका उद्घाटन शिकारीपाड़ा विधानसभा के झामुमो विधायक नलिन सोरेन और केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निर्देशक डॉ एन वी चौधरी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से नाबार्ड के अधिकारी सुकेंदू कुमार, सहायक निदेशक रेशम शंभूनाथ झा,कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के वरीय वैज्ञानिक डॉ किरण सिंह,

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दुमका के वैज्ञानिक डी डॉ शांताकार गिरी, वैज्ञानिक डी डॉ विशाल मित्तल, डॉ एस एम मजूमदार, डॉ सेल्वाराज, पीपीओ बेंगाबाद के रवि शर्मा, अंजुम अधिकारी, वैज्ञानिक डी डॉ जयप्रकाश पांडे एवम् विभिन्न प्रखंडों से आए 200 कृषक शामिल हुए।मेले में विभाग द्वारा तसर से निर्मित विभिन्न वस्तुओं के स्टॉल लगाने के साथ,दानीनाथ कृषक स्वालंबी समिति द्वारा मंडवा बीज, उरद बीज ,अरहर बीच की प्रदर्शनी लगाने के साथ ही वितरण किया गया।कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों द्वारा तसर उत्पादन बढ़ाने के तकनीकी का उपयोग करने,संथाल परगना में रेशम के ब्रांड नेम प्रदान करने,

किसानों के उपज कोसा निर्माण के साथ-साथ धागाकरण की संभावनाओ पर कार्य करने,तसर के साथ अन्य फसलों की खेती करने, स्किल डेवलपमेंट के कार्य को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण प्रदान करने,जैव विविधता के संरक्षण में तसर किसानों के योगदान पर ध्यान देने,अधिक से अधिक पौधारोपण का कार्य करने,किसानों के उत्पादन बढ़ने पर बल देने,किसान आधारित एफडीओ का निर्माण के साथ साथ कृषकों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष चर्चा की गई।अवसर पर स्थानीय विधायक नलिन सोरेन ने उपस्थित सभी को संबोधित करते हुए कहा की, दुमका जिले में कृषकों द्वारा तसर उत्पादन वर्षों से किया जा रहा है, परंतु काठीकुंड प्रखंड में केंद्रीय रेशम बोर्ड के उद्घाटन के बाद क्षेत्र में निश्चित रूप से तसर उत्पादन में वृद्धि हुई है।पूर्व में किसान काफी मशक्कत व तपस्या कर कोकून पालन किया करते थे, परंतु वर्तमान में केंद्र के माध्यम से वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर कृषकों को तसर उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाने से कृषक बड़ी ही सरलता से तसर का उत्पादन कर रहे हैं और बड़ी मात्रा में आय अर्जित कर पा रहे हैं।

उन्होंने क्षेत्र में हो रहे तसर उत्पादन के पश्चात अब स्थानीय स्तर पर भी इसकी उत्पादन हो,इसके प्रति पहल करने को लेकर उपस्थित सभी को आश्वस्त किया।अवसर पर उपस्थित निर्देशक डॉ एन वी चौधरी ने कहा कि,विश्व में तसर उत्पादन का एक मात्र देश भारत है।और भारत के झारखंड राज्य से ही 70 प्रतिशत तसर का उत्पादन किया जाता है।उन्होंने उपस्थित कृषकों से अपील करते हुए कहा की,तसर को महाजन या बिचौलियो के हाथों न बेचकर, निश्चित रूप से बोर्ड में आकर अच्छी कीमत पर कोसो को बेचे और अच्छी आमदनी अर्जित करें।

Advertisements

You missed