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29 महीने बाद बेरोजगारी दर 10 फीसदी से पार कोरोना महामारी के बाद से सबसे ऊंचा स्तर…

2021 में 11.84 प्रतिशत की गई थी रिकार्ड…

रामगढ़:इन्द्रजीत कुमार

पुरे भारत देशभर में 29 महीने पश्चात 15 वर्षों से अधिक उम्र के लोगों के बीच बेरोजगारी दर 10 फीसदी से ज्यादा हो गई। कोराना वायरस के समय के पश्चात यह दरों सबसे ज्यादा हैं। इससे पुर्व मई 2021 में यह दर 11.84 फीसदी दर्ज की गई थी। ताज़े रिपोर्ट दरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी गांवों में बेरोजगारों की संख्या बढऩे से हुई हैं। ग्रामीणों क्षेत्रों में मनरेगा के तहत दिया गया। रोजगार एक महीने में 28.16 फीसदी घट चुकी हैं।

वहीं दूसरी ओर योजना के तहत सितंबर में 19.52 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त हुई। अक्तूबर में संख्या घटकर 14.02 करोड़ रह गई। वहीं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की बात करेंगे तो यहां सितंबर में बेरोजगारी दर 8.9 फीसदी थी। जो अक्तूबर में घटकर 8.4 फीसदी रह गई। बेरोजगारी को सरकार की नजर से देखें तो उसके पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे डाटा के मुताबिक 2017-2018 में बेरोजगारी दर 45 वर्षों के सबसे ऊपरी लेवल 6.2 फीसदी तक पहुंच गई थी।

कुल मिलाकर बातें इस प्रकार से हैं कि उस वर्ष हर 10,000 वर्कर में 609-612 बेरोजगार थे। लेकिन आगामी वर्ष यानी 2018-2019 में उनका आंकड़ा घटकर 5.8 फीसदी (579-582 प्रति 10,000) पर आ गया। 2008 में हर 10,000 वर्कर में 535-537 बेरोजगार थे। जिनकी संख्या 2010 में 562-565 पर पहुंच गई। 2013 से 2019 के बीच इसमें लगातार गिरावट का रुझान बना रहा हैं।

पुरे भारत देशभर में 98 लाख नए लोग ढूंढ रहे काम:-

सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर में देश में 96-98 लाख नए लोग कार्य लगातार तालाशे जा रहे थे। इनमें 80-82 लाख नए बेरोजगार ग्रामीण क्षेत्रों से थे। ग्रामीण श्रमशक्ति की बात करें। अक्तूबर में नए औंर पुराने 1.51 करोड़ मजदूर जुड़े हुए हैं। इससे कुल मिलाकर बेरोजगार ग्रामीण मजदूरों की संख्या एक महीने में 1.93 करोड़ से बढक़र 3.44 करोड़ हो गई।

बेरोजगारी की यह स्थिति इसलिए चौंकाने वाली हैं। विगत पांच वर्षों में सितंबर से अक्तूबर के बीच औसतन बेरोजगार 48-51 लाख ही बढ़े थे। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को छोटे व्यापारियों के यहां दिहाड़ी और वेतनभोगी के रूप में रोजगार मिलता हैं। अक्तूबर के आंकड़े बताते हैं कि छोटी दुकानों में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या में 1.03 करोड़ की कमी आई। वेतनभोगी मजदूरों की संख्या भी 44-48 लाख घटी। खेती बाड़ी मजदूरों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई हैं।

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