रांची : सरकार की है यह कैसी माया, कहीं है धुप तो कहीं है छायां।”
संदर्भ # मंईया सम्मान योजना
✍️ … दीपक नाग
रांची : कहां जाता है आशा बंधाकर अगर निराशा हाथ लगे तो यह चोट दिल के लिए सहना मुश्किल होता है । ऐसी ही कुछ दर्द मंईया सम्मान योजना का लाभ उठाने वाली उन महिलाओं के चेहरों में दिखने लगा है, जिनके बैंक खाते में राशि प्रवेश तालिका शुन्य रह गया है । लंबे इंतजार के बाद खुशी-खुशी एक साथ झुंड बनाकर बैंक जाती है इनमें से कुछों के बैंक खाते में साढ़े तीन हजार आ गया तो कुछ का नहीं आया । ऐसी मानसिक स्थिति में कोई ग़लती से पुछ लिया, साढ़े तीन हजार आया ? और क्या आग में घी छिड़कने का काम हो जाता है। इन हालातों को देखकर यह चंद पंक्तियां सार्थक प्रतीत होने लगता है –
“सरकार की है यह कैसी माया,
कहीं है धुप तो कहीं है छायां।”
बाजार में चर्चा था कि, मंईया सम्मान योजना का लाभ इस महीने के 8 तारीख तक सभी लाभुकों के बैंक खाते में आ जाएगा । होली का त्योहार सर पर खड़ी है, लाभुक महिलाओं के लिए हेमंत सरकार की ओर से इसे सौगात समझा गया । पर यह क्या ? सरकार की घोषणा आधा-अधूरा क्यों लगने लगा है ? मकर संक्रांति के पहले यह लाभ देकर संक्रांति का बाजार में रौनक आ गया था तो, होली के पहले निराशा क्यों ? क्या जरूरत मंद और बहु प्रतीक्षित मंईया के चेहरों में खुशी की चमक नहीं दिखना चाहिए ? विपक्ष राजनीतिक दलों के लिए यह एक मौका खुद से देना नहीं होगा ? सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2025 – 2026 के बजट में इस योजना के लिए 13 हजार 363 करोड़ राशि प्रस्ताव में लिया गया है । आने वाले समय में मंईया सम्मान योजना का भुगतान के लिए संभवतः यह खामियां नजर नहीं आएगी ।
खबरों के अनुसार, लाखों की संख्या में अनेक महिलाएं अपनी वास्तविक जानकारी को छुपाकर मंईया सम्मान योजना का लाभ उठाई रही है । सरकार ऐसी महिलाओं को चिन्हित करना आरंभ कर दी है। बाजार में यह खबर चर्चा में है । ऐसे में जिन महिलाओं के बैंक खाते में इस महीने अभी तक योजना का पैसा नहीं आया है, वे सारी महिलाएं दुविधा में होना लाजमी है। इस महीने लाभ का पैसा उसकी बैंक खाते में दिखाई क्यों नहीं दे रहा है ? सीधे और आसान शब्दों में कहा जाए तो, सरकार के लिए काम कर रहें ब्यूरोक्रेट्स चाह लें तो यह आसंका दूर हो सकता है । समाचारों के माध्यम से प्रकाशित कर, पंचायत और प्रखंड कार्यालयों में इस लाभ से निरस्त किया गया लाभुकों के नामों को कारणों के साथ सुचना पट करें । ताकि, मंईया सम्मान योजना का लाभ उठाने वाली महिलाओं को पता चल सके कि, आज नहीं तो कल उसे इसका लाभ मिलेगा कि नहीं।
एक और चिंताजनक पहलू है, कुछ दिन पहले वानांचल २४ टी वी लाईव लिख चुका है कि, सरकारी जांच के दौरान ऐसी भी महिलाओं का नाम निरस्त गलती से हो सकता है जिन्हें यह सुविधा मिलना चाहिए । क्यों कि, परंपरा है गेंहू के साथ घुन भी पिस जाता है । सही जानकारी मिले तो जायज़ महिलाओं को अपना दावा कार्यालयों में करने का मौका मिल सके ।
बहरहाल, हेमंत सरकार को इस मामले में फुंक – फुंक कर एक -एक कदम रखने की जरूरत है । मामला मंईया का है भैया का नहीं। मंईया का माथा रहेगी ठंडा तो भैया नहीं करेगा सड़कों पर चर्चा गंदा ।